________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir जगच्छास्ताविश्ववन्द्योजयध्वजः // 172 // आत्मातत्त्वाधिपःकर्तृश्रेष्ठोविधिरुमापतिः / / भर्तुःश्रेष्ठःप्रजेशाग्र्योमरीचिजनकाग्रणीः॥ // 173 // कश्यपोदेवराडिन्द्रः प्रह्लादोदैत्यराट्शशी // नक्षत्रेशोरविस्तेजः श्रेष्ठः शुक्रः कवीश्वरः // 174 // महर्षिराड्भृगुर्विष्णु रादित्यशोरलिः स्वराट् // वायुर्वह्निः शुचिः श्रेष्ठः शङ्करोरुद्रराङ्गुरुः // 175 // विद्वत्तमश्चित्ररथोगंधर्वाग्र्योवसूनमः // वर्णादिर ग्यास्त्रीगौरीशक्त्यग्र्याश्रीश्चनारदः // 176 // देवर्षिराटपाण्डवाग्योऽर्जुनोनारदवादराट् // पवनः पवनेशानोवरुणोयादसाम्पतिः // // 177 // गंगातीर्थोत्तमोत्तंछत्रकांग्यवरौषधम् // अन्नंसुदर्शनाखाग्र्योवज्रप्रहरणोत्तमम् // 178 // उच्चैःश्रवावाजिराजऐरावत इजेश्वरः / / अरुंधत्येकपत्नीशोह्यश्वत्थोऽशेपवृक्षराट् // 179 // अध्यात्मविद्याविद्यात्माप्रणवश्छन्दसांवरः // मेरुगिरिपतिर्मार्गोमासाग्र्यः कालसत्तमः // 180 // दिनाद्यात्मापूर्वसिद्धिः कपिलः सामवेदराट् // तायः खगेन्द्रऋत्वयोवसंतः कल्पपादपः // 181 // दातृश्रेष्ठः कामधेनुरार्तिनाग्र्यः सुरोत्तमः // चिंतामणिर्गुरुश्रेष्ठोमाताहिततमः पिता॥१८२॥ सिंहोमृगेन्द्रोनागेन्द्रोवासुकि धरोनृपः॥ वर्णेशोब्राह्मण श्वांतःकरणाग्र्यन्नमोनमः॥१८३॥इत्येतद्वासुदेवस्य विष्णोर्नामसहस्रकम् // सर्वापराधशमनं परं भक्तिविवर्धनम् // 184 // अक्षयत्र लोकादिसर्वार्थाप्त्यैकसाधनम् // विष्णुलोकैकसोपानं सर्वदुःखविनाशनम् // 185 // समस्तसुखदं सत्यं परं निर्वाणदायकम् // कामक्रोधादिनिःशेषमनोमलविशोधनम्॥१८६॥शांतिदं पावनन्नृणां महापातकिनामपि॥सर्वेषां प्राणिनामाशु सर्वाभीष्टफलप्रदम्॥१८७॥ सर्वविघ्नप्रशमनं सर्वारिष्टविनाशनम् // घोरदुःखप्रशमनं तीव्रदारियनाशनम् // 188 // तापत्रयापहं गुह्यं धनधान्ययशस्करम् // सर्वेश्वर्यप्रदं सर्वसिद्धिदं सर्वकालदम् // 189 // तीर्थयज्ञतपोदानव्रतकोटिफलप्रदम् // अप्रज्ञजाड्यशमनं सर्वविद्याप्रवर्तकम्॥ 190 // For Private And Personal Use Only