________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 185 // 0 ख०, वि.तं. तरं०७ ज्ञाईकस्वांशशंकरपूजकः॥ शिवकन्याव्रतपतिःकृष्णरूपःशिवारिहा // 154 // महालक्ष्मीवपुर्गौरीत्राणो देवलवातहा // विनिद्रमच कुंदै कब्रह्मास्त्रयुवनाश्वहृत् // 155 / / अक्रूरोक्ररमुख्यैकाक्तस्वच्छंदमुक्तिदः / सबालस्त्रीजलक्रीडामृतवापीकतार्णवः // 156 // यमुनापतिरानीलपरिणीतद्विजात्मकः // श्रीदामशभक्तार्थभम्यानीतेन्द्र भैरवः // 157 // दुर्वृत्तशिशुपालैकमुक्तिकोद्धारके श्वरः / आचाण्डालादिकंप्राप्यद्वारकानिधिकोटिकत् // 158 // ब्रह्मास्त्रदग्धगर्भस्थपरीक्षिज्जीवनककत् // पारीणीतद्विजसुताने / तार्जुनमदापहः / 159 // गृढमुद्राकतिग्रस्तभीष्माद्यखिलगौरवः // पार्थार्थखण्डिताशेषदिव्यास्त्रःपाथमोहभत // 160 // ब्रह्मशापच्छलध्वस्तयादवोविभवावहः / / अनंगोजितगौरीशोरतिकांतःसदप्सितः // 161 // पुष्पेषुर्विश्वविजयीस्मरःकामेश्वरीपतिः // ऊपापतिर्विश्वहेतुर्विश्वतृप्ताऽधिपूरुषः।।१६२।। चतुरात्माचतुर्वर्णश्चतुर्वेदविधायकः // चतुर्विश्वैकविश्वात्मासर्वोत्कृष्टामुकोटिषु॥ 163 // आश्रयात्मापुराणर्षिासःशास्त्रसहरकत / महाभारतनिर्माताकवीन्द्रोबादरायणः / / 164 // कृष्णद्वैपायनःसर्वपुरुषार्थकबोधकः / / वेदांतकर्ताब्रह्मैकव्यंजकःपुरुवंशरुत् / / 165 / / बुद्धोध्यानजिताशेषदेवदेवोजगत्प्रियः / / निरायुधोजगजैत्रःश्रीधनोदुष्टमोहनः // 166 // दैत्यदेवबहिष्कर्तावेदार्थश्रुतिगोपकः / / शुद्धोदनिर्नष्टदिष्ठः मुखदः सदसत्पतिः // 167 // यथायोग्याखिलकपःसर्वशून्योऽखिले | ष्टदः / चतुष्कोटिपृथक्तत्त्वप्रज्ञापारमितेश्वरः // 168 // पाषण्डश्रुतिमार्गेण पाषण्डश्रुतिगोपकः / / कल्कीविष्णुयशःपुत्रःकलि कालविलोपकः / / 169 / / समस्तम्लेच्छहस्तघ्नः सर्वशिष्टद्विजातिकत / / सत्यप्रवर्तकोदेवद्विजदीर्घक्षधापहः // 170 // अश्वएवा दिदेवेनपृथ्वीदुर्गतिनाशनः // सद्यःक्ष्मानंतलक्ष्मीकन्नष्टनिःशेषधर्मकृत् / / 171 // अनंतस्वर्गयागैकहेमपूर्णाखिलद्विजः // असाध्यैक // 18511 For Private And Personal Use Only