________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir www.kabarth.org // 184 // रावणनःप्रहस्तच्छितकुम्भकर्णभिदुग्रहा // रावणैकमुखच्छे नानिश्शंकेन्द्रकराज्यदः // 118 // स्वर्गास्वर्गत्वविच्छेदीदेवेन्द्रादिन्द्रता पू० ख०१ वि.तं. हरः // रक्षोदेवत्वहृद्धाधर्महर्म्यःपुरुष्टुतः // 119 // नातिमात्रदशास्यारिदत्तराज्यविभीषणः // सुधासृष्टिमृताशेषस्वसैन्यजीव च नैककृत् // 120 // देवब्राह्मणनामकधातासामरार्चितः // ब्रह्मसूयेन्द्ररुद्रादियोऽर्चितः सतां प्रियः // 121 // अयोध्याखिला राज्याहःसर्वभूतमनोहरः // स्वाम्यतुल्यकपादत्तोहीनोत्कृष्टैकसत्प्रियः // 122 // स्वपक्षादिन्यायदर्शीहीनार्थोऽधिकमाधकः // व्याध व्याजानुचितकृत्तावलोऽखिलतुष्टिकत्॥१२३॥ पार्वत्यधिकयुक्तात्माप्रियात्यक्तसुरारिजित् // साक्षात्कुशलवत्सनीन्द्राग्निनातोपराजितः / // 124 // कौशलेन्द्रो वीरबाहुःसत्यार्थस्त्यक्तसोदरः॥यशोदानंदनोनन्दीधरणीमण्डलोदयः॥१२५॥ब्रह्मादिकाम्यसान्निध्यसनाथीकत देवतः // ब्रह्मलोकातचांडालाबशेषप्राणिसार्थपः // 126 // स्वर्णीतगर्दभावादिचिरायोध्याबलैककत् // रामोद्वितीयः सौमित्रि || लक्ष्मणप्रहतेन्द्रजित् // 127 विष्णुभक्ताशिवांहःक्षित्पादुकाराज्यनिर्वृतः // भरतोऽसह्यगन्धर्वकोटिनोलवणांतकः // 128 // शत्रुघ्नोवैद्यराडायर्वेदगर्भाषधीपतिः // नित्यानित्यकरोधन्वंतरिय॑ज्ञोजगद्धरः // 129 // सूर्यविघ्नःसुराजीवोदक्षिणेशोद्विजप्रियः // छिन्नमोपदेशार्कतनूजकतमौत्रिकः // 130 // शेषांगस्थापितनरः कपिलःकईत्मात्मजः // योगात्मकध्याननङ्गःसगरात्मजभस्मकत // 131 धोविश्वेन्द्रसुरभीपतिःशुद्धात्मभावितः॥ शंभुत्रिपुरदाहैकस्थैर्य्यविश्वरथोद्धतः॥ 132 // विश्वात्माशेषरुद्रार्थशिरश्छे चा॥१८४॥ दाक्षताकृतिः // वाजपेयादिनामानिर्वेदधर्मपरायणः // 133 // श्वेतदीपपतिःसांख्यप्रणेतासर्वसिद्धिराट् // विश्वप्रकाशितध्यान योगोमोहतमिस्रहा // 134 // भक्तशंभुजितोदैत्यामृतवापीसमस्तपः // महाप्रलयविश्वकोऽद्वितीयोखिलदैत्यराट् // 135 // शेषदेवः For Private And Personal Use Only