________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir शिवाखिलज्ञानकोशीभीष्माचार्योऽग्निदेवतः // 99 // द्रोणाचार्यगुरुविश्वजैत्रधन्याकृतांतकत् // अद्वितीयतमोमूर्तिब्रह्मचयकद| क्षिणः // 10 // मनुश्रेष्ठः सतांसेतुर्महीयान्वृषभोविराट् // आदिराजः क्षितिपितासर्वरत्नैकदोहकत् // 30 // पृथुजन्मायेकद सो ह्रीः श्रीः कीर्तिः स्वयंधृतिः // जगत्तिप्रदश्चक्रवर्तिश्रेष्ठोदुरस्वधृक् // 102 // सनकादिमुनिप्रापद्भगवद्भक्तिवर्द्धनः // वर्णाश्रमादि धागांकःवक्ताप्रवर्तकः // 103 // सूर्यवंशध्वजोरामोराघवः सद्गुणार्गवः // ककुत्स्थवीरताधर्मोराजधर्मधुरंधरः।। 104 // नित्य स्वस्थाशयः सर्वभद्रग्राहीशुभकहा // नवरत्नरत्ननिधिः सर्वाध्यक्षोमहानिधिः // 105 // सर्वश्रेष्ठाश्रयः सर्वशवासयामवीर्यवान् // जगदशीदाशरथिः सर्वरत्नाश्रयोनृपः / / 106 // धर्मः नमस्तधर्मस्थोधर्मद्रष्टाखिलार्तिहृत् // अतीन्द्रोज्ञानविज्ञानपारदृश्वाक्षमाम्बु धिः।। 107 / / सर्वप्रकटः शिष्टेष्टोहर्षशोकायनाकुलः / / पित्राज्ञात्त्यक्तसाम्राज्यः सपत्नोदयनिर्भयः // 108 // गुहादेशापितैश्वर्यः शिवस्प जटाधरः // चित्रकूटाप्तरत्नाद्रिजगदीशोरणेचरः॥ 109 // यथेष्टमोघशस्त्रास्त्रोदेवेन्द्रतनयाशिहा // ब्रह्मन्दादिनतैषीकोमा थे। रचनोविराधहा // 110 // ब्रह्मशापहताशेषदण्डकारण्यपावनः // चतुर्दशसहस्राख्यरक्षोन्नैकशरैकभृत् // 33 // खरारित्रिशिरोd तादूषणनोजनाईनः // जटायुपोनिगतिदः कबंधस्वर्गदायकः // 112 // लीलाधनुः कोट्यपास्तदुन्दुभ्यस्थिमहाचयः // सप्तताल व्यथाकष्टध्वजपातालदानवः / / 113 // सुग्रीवराज्यदोधीमान्मनसैवाभयप्रदः // हनूमद्रद्रख्येशःसमस्तकपिदेहभृत् // 114 // अग्निदेवत्यबाणैकव्याकुलीकतसागरः // सम्लेच्छकोटिवाणकशुष्कनिर्दग्धसागरः॥१५॥ सनागदैत्यधामैकव्याकुलीकृतसागरः॥ समु द्वाद्भूतपूर्वेकबद्धसेतुर्य्यशोनिधिः॥११६॥ असाध्यसाधकोलंकासमूलोत्कर्षदक्षिणः // वरदृप्तजनस्थानपौलस्त्यकुलकंतनः // 17 // For Private And Personal Use Only