________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir म. // 18 // ॐ भूमहावराह इति शिखायै वषट् // ३॥ॐ सूर्यवंशध्वजो रामः कवचाय हुं // 4 // ॐ ब्रह्मादिकमलादिगदासूर्यकेशवः पू. खं० 1 नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // ॐ दिव्यास्त्र इत्यस्त्राय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः॥ एवं न्यासं कृत्वा ध्यायेत् // अथ ध्यानमावि तं० ॐ विष्णुभास्वत्कीरियांगदवलयगणाकल्पहारोदरांघिश्रोणीभूषं सुवक्षो मणिमकरमहाकुंडलं मंडितांसम् // हस्तोद्यच्चक्रशंखांबुजगदममलं पीतकौशेयवासोविद्युद्भासं समुद्यदिनकरसदृशं पद्महस्तं नमामि // 9 // ॐ वासुदेवः परब्रह्म परमात्मापरात्परम॥ परं धाम परज्योतिः पर तत्त्वं परं पदम् // 10 // परंशिवं परोध्येयः परंज्ञानंपरागतिः। परमार्थः परंश्रेयः परानंदः परोदयः // 11 // परोव्यक्तः परंव्योमपराईः परमेश्वरः // निरामयो निर्विकारो निर्विकल्पो निराश्रयः॥१२॥ निरंजनो निरालंबो निर्लेपो निरवग्रहः // निर्गुणो निष्कलोऽनंतोचिंत्यो सावचलोऽच्युतः // 13 // अतीन्द्रियोऽमितोऽ रोध्योऽनीहोऽनीशोव्ययोऽक्षयः // सर्वज्ञः सर्वगः सर्वः सर्वदः सर्वभावनः // 14 // सर्वशंभुस्सर्वमाक्षीपूज्यस्सर्वस्यसर्वक // सर्वशक्तिः सर्वसारः सर्वात्मा सर्वतोमुखः॥ 15 // सर्वावासः सर्वरूपः सर्वादिस्सर्वदुःखहा // सर्वार्थः सवतोभद्रः सर्वकारणकारणम्॥१६॥सर्वातिशायकः सर्वाध्यक्षः सर्वेश्वरेश्वरः॥ षड्विंशको महाविष्णुर्महागुह्यो महाहरिः॥१७॥ नित्योदितो नित्ययुक्तोनित्यानंदः सनातनः॥ मायापतियोगपतिः कैवल्यपतिरात्मभुः॥१८॥ जन्ममृत्युजरातीतः कलातीतोजवातिगः।। NIपूर्णः सत्यशुद्धयुद्धस्वरूपोनित्यचिन्मयः // 19 // योगिप्रियोयोगमयोभवबंधैकमोचकः॥पुराणः पुरुषः प्रत्यक्चैतन्यपुरुषोत्तमः॥२०॥ है वेदांतवेद्योदु यस्तापत्रयविवर्जितः // ब्रह्मविद्याश्रयोऽलंध्यः स्वप्रकाशः स्वयंप्रतः // 21 // सर्वोपेयउदासीनः प्रणवस्सर्वतस्समः॥ सर्वानवद्योदुष्प्रापस्तुरीयस्तमसमः परः // 22 // कूटस्थः सर्वसंश्लिष्टोवाङ्मनोगोचरातिगः॥ संकर्षणः सर्वहरः कालः सर्वभयंकरः For Private And Personal Use Only