________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir मं०म० ॐ अष्टोत्तरं शतं नाम्नां विष्णोरतुलतेजसः॥ यस्य श्रवणमात्रेण नरो नारायणो भवेत् // 1 // विष्णुर्जिष्णुर्वषट्कारो देवदेवो वृष पू० खं० 1 कपिः // दामोदरो दीनबंधुरादिदेवो दितेः सुतः // 2 // पुण्डरीकः परानंदः परमात्मा परात्परः // परशुधारी विश्वात्मा कृष्णः कलि वि० 0 कामलापहः // 3 // कौस्तुनोद्भासितोरस्को नरो नारायणो हरिः॥ हरो हरप्रियः स्वामी वैकुण्ठो विश्वतोमुखः // 4 // हृषीकेशो तरं०७ प्रमेयात्मा वराहो धरणीधरः॥ वामनो वेदवक्ता च वासुदेवः सनातनः॥ 5 // रामो विरामो विरजो रावणारी रमापतिः // वैकुण्ठवासी। वसुमान् धनदो धरणीधरः // 6 // धर्मेशो धरणीनाथो ध्येयो धर्मभृतां वरः // सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षस्सहस्रपात् // 7 // सर्वगः सर्ववित्सर्वः शरण्यः साधुवल्लभः // कौसल्यानंदनश्श्रीमान रक्षःकुलविनाशकः // 8 // जगत्कर्ता जगद्धता जगज्जेता जना कार्तिहा // जानकीवल्लभो देवो जयरूपो जलेश्वरः // 9 // क्षीराब्धिवासी क्षीराब्धितनयावल्लभस्तथा // शेषशायी पन्नगारिवाहनो विष्टर / श्रवाः॥ 10 // माधवो मथुरानाथो मोहदो मोहनाशनः // दैत्यारिः पुण्डरीकाक्षो ह्यच्युतो मधुसूदनः // 11 // सोमसूर्याग्नि नयनो। सिंहो भक्तवत्सलः / / नित्यो निरामयश्शुद्धो नरदेवो जगत्प्रभुः // 12 // हयग्रीवो जितरिपुरुपेन्द्रो रुक्मिणीपतिः ॥सर्वदेवमयः श्रीशः सर्वाधारः सनातनः // 13 // सौम्यः सौम्यप्रदः स्रष्टा विष्वक्सेनो जनाईनः॥ यशोदातनयो योगी योगशास्त्रपरायणः // 14 // रुद्रात्मको रुद्रमूर्ती राघवो मधुसूदनः // इति ते कथितं दिव्यं नाम्नामष्टोत्तरं शतम् // 15 // सर्वपापहरं पुण्यं विष्णोरमिततेजसः।। दुःखदारियदौर्भाग्यनाशनं सुखवर्द्धनम् // 16 // सर्वसंपत्करं सौम्यं महापातकनाशनम् // प्रातरुत्थाय विभेन्द्रः पठेदेकायमानसः // तस्य नश्यति विपदां राशयः सिद्धिमानुयात् // 17 // इत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं संपूर्णम् // अथ विष्णुसहस्रनामस्तोत्रप्रारंशः // // 180 / For Private And Personal Use Only