________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir // 179 // मं० म०सर्वदा विभो // 6 // पापिनामहमेवाग्र्यो दयालूनां त्वमग्रणीः // दयनीयो मदन्योऽस्ति तब कोऽत्र जगत्रये // 7 // त्वयाप्यहं न पू० ख०१ सृष्टश्चेन्न स्यानव दयालुता // आमयो नैव मृष्टश्चेदोषधस्य वृथोदयः // 8 // पापसंघपरिक्रांतः पापात्मा पापरूपधृक् // त्वदन्यः वि० सं० कोऽत्र पापेत्यखाता मे जगतीतले // 9 // त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव // त्वमेव विद्या च गुरुस्त्वमेव त्वमेव ) तरं०७ सर्व मम देवदेव // 10 // " इति प्रार्थनादशकम् // “प्रार्थनादशकं चैव मूलाष्टकमुदाहृतम् // यः पठेच्छृणुयान्नित्यं तस्य लक्ष्मीः स्थिरा अवेत् // 1 // नारायणस्य हृदयं सर्वाभीष्टफलप्रदम् // लक्ष्मीहृदयकं स्तोत्रं यदि चेत्तद्विना कृतम् // 2 // तत्सर्वे निष्फलं प्रोक्तं लक्ष्मीः क्रुद्धयति सर्वदा // एतत्संकलितं स्तोत्रं सर्वकर्मफलप्रदम् // 3 // लक्ष्मीहृदयकं चैव तथा नारायणात्मकम् // जपेद्यः संक कालीकत्य सर्वाभीष्टमवाप्नुयात् // 4 // नारायणस्य हृदयमादौ जप्त्वा ततः परम् // लक्ष्मीहृदयकं स्तोत्रं जपेन्नारायणं पुनः // 5 // पुनर्नारायणं जप्त्वा पुनर्लक्ष्मीकृतं जपेत् // पुनारायणं जाप्यं संकलीकरणं भवेत् // 6 // एवं मध्ये द्विवारेण जपत्संकलित हि तत् // लक्ष्मीहृदयकं स्तोत्रं सर्वकामप्रकाशितम् // 7 // तजपादिकं कुर्यादेतत्संकलितं शुभम् // सर्वान्कामानवामोति आधिव्याधिभयं / हरेत् // 8 // गोप्यमेतत्सदा कुर्यान्न सर्वत्र प्रकाशयेत् // अति गुह्यतमं शास्त्रं प्राप्नं ब्रह्मादिकैः पुरा // 5 // तस्मात्सर्वप्रयत्नेन गोपाल येत्साधयेत्सुधीः // यत्रतत्पुस्तकं तिष्ठेल्टलक्ष्मीनारायणात्मकम् // 10 // भूतपैशाचवेताला न स्थिरास्तत्र सर्वदा // लक्ष्मीहृदयकं प्रोक्त विधिना साधयेत्सुधीः // 11 // भगुवारे च रात्रौ च पूजयेत्पुस्तकद्वयम् // सर्वस्वं सर्वदा सत्यं गोपयेत्साधयेत्सुधीः // 12 // गोप नात्साधनाल्लोके धन्यो भवति तत्त्वतः // 13 // इत्यथर्वणरहस्ये उत्तरभागे श्रीनारायणहृदयं सम्पूर्णम् // अथ विष्णुस्तोत्रम् // ॐ // 18 For Private And Personal Use Only