________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir सर्वांगं मे सदा पातु द्वारकानायको बली // नमो भगवते पश्चाद्वासुदेवाय तत्परम् // 21 ताराद्यो द्वादशाोयं प्राच्यां मां सर्वदावतु ) // श्रीं ह्रीं क्लीं च दशार्णस्तु क्लीं ह्रीं श्रीं पोडशार्णकः / / 22 / / गदायुदायुधो विष्णुर्मामर्दिशि रक्षतु // ह्रीं श्रीं दशाक्षरो मंत्रो दक्षिणे मां सदावतु / / 23 / / तारो नमो भगवते रुक्मिणीवल्लभाय च / / स्वाहेति षोडशाोयं नैर्ऋत्यां दिशि रक्षतु // 24 // कीं हृषीकेपदेशाय नमो मां वारुणेऽवतु / / अष्टादशार्णः कामांतो वायव्ये मां सदावतु // 25 // श्री मायाकामकृष्णाय ह्रीं गोविन्दाय विठो मनुः / / द्वादशात्मको विष्णुरुत्तरे मां सदावतु // 26 // वाग्भवं कामकृष्णाय ह्रीं गोविन्दाय तत्परम् / / श्री गोपीजनवल्लभाते भाय स्वाहा हसौ स्वतः // 27 // द्वाविंशत्यक्षरो मंत्रो मामैशान्ये सदावतु / कालियस्य फणामध्ये दिव्यनत्यं करोति तम् // 28 // नमामि देवकीपुत्रं नृत्यराजानमच्युतम्।। द्वात्रिंशदक्षरो मंत्रोऽप्यधो मां सर्वदावतु // 29 // कामदेवाय विद्महे पुष्पवाणाय धीमहि // तन्नोऽनङ्गः प्रचोदयादेषा मां पातु चोर्ध्वतः / / 30 / / इति ते कथितं विप्र ब्रह्ममंत्रौषविग्रहम् / त्रैलोक्यमंगलं नाम कवचं ब्रह्मरूपकम् | K // 31 // ब्रह्मणा कथितं पूर्व नारायणमुखाच्छ्रुतम् / / तव स्नेहान्मयाख्यातं प्रवक्तव्यं न कस्यचित् // 32 // गुरुं प्रणम्य विधिवत्कवचं प्रपठेत्ततः // सकहिस्त्रियथाज्ञानं सोऽपि सर्वतपोमयः / / 33 // मंत्रष्वसकलेष्वेव देशिको नात्र संशयः // शतमष्टोत्तरं चास्य पुरश्चर्याविधिः स्मृतः // 34 // हवनादीन्दशांशेन कृत्वा तत्साधयेद्धवम् // यदि स्यात्सिद्धकवचो विष्णुरेव भवेत्स्वयम् // 35 // | मंत्रसिद्धिर्भवेत्तस्य पुरश्चर्याविधानतः // स्पर्धामुद्भूय सततं लक्ष्मीर्वाणी वसेनतः॥ 36 // पुष्पांजल्यष्टकं दत्त्वा मूलेनैव पठेत्सकत॥ दशवर्षसहस्राणां पूजायाः फलमामुयात् // 37 // भूर्जे विलिख्य गुटिकां स्वर्णस्थां धारयेद्यदि // कण्ठे वा दक्षिणे बाही For Private And Personal Use Only