________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir परमेश्वर // 4 // अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम // तस्मात्कारुण्यभावेन क्षमस्व परमेश्वर // 5 // प्रातयोनिसहस्रेष सहस्रेषु बजाम्यहम् // तेषु तेष्वचला भक्तिरच्युतेस्तु सदा त्वयि // 6 // गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्यमेव च ॥आगता सुखसंपत्तिः पुण्या च तव दर्शनात् // 7 // देवो दाता च भोक्ता च देवरूपमिदं जगत् // देवं जपति सर्वत्र यो देवः सोहमेव हि // 8 // क्षमस्व देवदेवेश क्षम्यतां भुवनेश्वर // तव पादांबुजे नित्यं निश्चला भक्तिरस्तु मे // 2 // इति कृतांजलिः प्रार्थयित्वा शंखजलमुद्धृत्य देवोपरि चामयित्वा "साधु वासाधु वा कर्म यद्यदाचरितं मया // तत्सर्व रुपया देव गृहाणाराधनं मम // 1 // " इत्युच्चचरन देवस्य दक्षिण हस्ते किंचिजलं दत्त्वा प्राग्वदर्घ्य देवशिरसि दत्त्वा शंखं यथास्थाने निवेशयेत् // ततो गतसारनैवेद्यं देवस्योच्छिष्टं किंचिदुद्धृत्य ॐ| विष्वक्सेनाय नमः // इति विष्वक्सेनं संपूज्योच्छिष्टांधिकारिणे ऐशान्यां दिशि दद्यात् // तच्छेषनैवेद्यं शिरसि धृत्वा नैवेद्यादिकं देवभक्तेषु विक्षज्य स्वयं भुक्त्वा विसर्जनं कुर्यात् // तथा च // “ॐ गच्छगच्छ परस्थाने स्वस्थाने परमेश्वर // पूजाराधनकाले च पुनरा गमनाय च // 3 // " इत्यक्षतान्निक्षिप्य विसर्जनं कृत्वा "ॐ तिष्ठतिष्ठ परस्थाने स्वस्थाने परमेश्वर // यत्र ब्रह्मादयो देवाः सर्वे तिष्ठति मे हृदि॥ 1 // " इति हृदयकमले हस्तं दत्त्वा देवं स्वहृदये संस्थाप्य मानसोपचारैः संपूज्य स्वात्मानं देवरूपं भावयन् यथासुखं विहरेत् // एवमेवविधिना जपं सामान्य सर्वदेवोपयोगिपद्धतिमार्गेण तत्तदशांशहोमतर्पणमार्जनब्राह्मणभोजनं च कुर्यात् // इति विष्णुपूजापद्धतिः समाता / / अथ विष्णुकवचप्रारंभः // श्रीनारद उवाच // "भगवन्सर्वधर्मज्ञ कवचं यत्प्रकाशितम् // त्रैलोक्यमंगलं नाम रुपया कथय| तो // 1 // सनत्कुमार उवाच // शृणु वक्ष्यामि विप्रेन्द्र कवचं परमाद्भुतम् // नारायणेन कथितं कृपया ब्रह्मणे पुरा॥२॥ब्रह्मणा कथितं For Private And Personal Use Only