________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir // 8 // ॐ बुद्धिः सवासना कुता दर्पणं मंगलानि च // मनोवृत्तिविचित्रा ते नृत्यरूपेण कल्पिता // 1 // ध्यानं च गीतरूपेण / शब्दा वाद्यप्रभेदतः // छत्राणि नवपनानि कल्पितानि मया प्रनो // 2 // सुषुम्णा ध्वजरूपेण प्राणाद्याश्चामरा मताः॥ अहंकारो गज त्वेन वेगः कुतो रथात्मना // 3 // इन्द्रियाण्यश्वरूपाणि शब्दादीरथवर्मना // मनः प्रयहरूपेण बुद्धिः सारथिरूपतः॥ 4 // सर्व मन्मत्तथा कृतं तबोपकरणात्मना // एमान् सार्चचतुष्टयश्लोकान् पठित्वा छत्रादि समर्पयेत् // इति छत्राद्यर्पणम् // 9 // ॐ कदली गर्भसंभूतं कपरं च प्रदीपितम् // आरार्तिक्यमहं कर्वे पश्य मे वरदो भव // इति कर्पूरार्तिक्यम् // 30 // ॐ यानि कानि च पापानि जन्मांतरकतानि वै // तानि सर्वाणि नश्यंत प्रदक्षिणपदेपदे // 1 // इति चतुरः प्रदक्षिणाः कुर्यात् // ११॥ॐ प्रसन्नं पाहि मामीश भीतं मृत्युग्रहार्णवात् // इति वदन साष्टांग प्रणमेत् // 12 // ॐ नानासुगंधपुष्पाणि यथाकालोद्भवानि च // पुष्पांजलिं मया दत्त गृहाण परमेश्वर॥३॥इति पुष्पांजलिः॥१३॥इति पुष्पांजलिं दत्त्वा ततस्तुतिपाठेन स्तुत्वा बद्धांजलिपूर्वकं प्रार्थयेत् // ॐ ज्ञानतोज्ञानतो वाथ यन्मया क्रियते हरे // मम कत्यमिदं सर्वमिति देव क्षमस्व मे // 1 // अपराधसहस्राणि क्रियतेऽहर्निशं मया // दासोयमिति मां मत्वा , क्षमस्व परमेश्वर // 2 // अपराधो भवत्येव सेवकस्य पदेपदे // कोऽपरः सहतां लोके केवलं स्वामिन विना // 3 // भूमौ स्खलित पादानां भूमिरेवावलंबनम् // त्वयि जातापराधानां त्वमेव शरणं हरे // 4 // इति बद्धांजलिपूर्वकं संपार्थ्य " ॐ यदुक्तं येन भावेन पत्रं पुष्पं फलं जलम् / / निवेदितं च नैवेद्यं गृहाण त्वनुकंपय / / 3 // " इति पठित्वा देवस्य दक्षिणकरे पूजार्पणजलं दद्यात् // ततो मालामा भदाय सर्वदेवोपयोगिपद्धतिमार्गेण मालायाः संस्कारान् कृत्वा अशक्तश्चेत् “ॐ ह्रीं मालेमाले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणी // चतुर्वर्गस्त्व For Private And Personal Use Only