________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ཡཾ༠ ག༠ षोडशवारं संजप्य तदुत्थामृतधारया प्लावितं विभाव्य मूलेन प्रोक्ष्य धेनुमुद्रां प्रदर्श्य मूलेनाष्टधाभिमंत्र्य गंधपुष्पान्यां संपूज्य देवस्योद्गतं तेजः , पू० ख०१ स्मृत्वा वामांगुष्ठेन नैवेद्यपात्रं स्पृष्ट्वा दक्षिणकरेण जलं गृहीत्वा "ॐ सत्पात्रसिद्धं सुहविविविधानेकभक्षणम् // निवेदयामि देवेश सानुगाय गृहाण तत् // " मूलं पठित्वा ॐ भू०सांगाय सपरिवाराय सवाहनाय सायुधाय श्रीविष्णवे नमः // नैवेद्यं समर्पयामि // 1 // इति भूतले देवदक्षिणे जलं क्षित्वा वामहस्तेन अनामामूलयोरंगुष्ठयोगे ग्रासमुद्रा तां प्रदर्श्य देवं भुक्तवन्तं विभाव्य जलं दद्यात् // इति नैवेद्यम् // 3 // ॐ नमस्ते देवदेवेश सर्वतृतिकरो वरः॥ परमानंदपूर्णस्त्वं गृहाण जलमुत्तमम् // 1 // मूलं पठित्वा ॐ भू० सांगाय सप रिवाराय सवाहनाय सायुधाय श्रीविष्णवे नमः // जलं समर्पयामि // इति मंत्रण स्वर्णादिपात्रस्थं कर्पूरादिमुवासितं जलं निवेद्य देवेन तज्जलं पाशितमिति भावयन अंतःपटं दद्यात् // इति जलम् // 4 // ॐ ब्रह्मेशाधैः सरसमजितः सूपविष्टैः समन्तासिंजबालव्यजननिकर ज्यमानः सखीभिः // नर्मक्रीडाप्रहसनपरान्पंक्तिभोक्तन् हसन्वै भुक्ते पात्र कनकघटिते षड्रसान्देवदेवः॥३॥ शालीभक्तं सुपक्वं शिशिर d करसितं पायसापूपसूपं लेां पेयं च चोष्यं सितममृतफलं द्वारिकाद्यं सुखाद्यम्।।आज्यं प्राज्यं सभोज्यं नयनरुचिकरं राजिकैलामरीचस्वा | दीयः शाकराजीपरिकरममृताहारजोषं जुषस्व // 2 // इति अंतःपटं दत्त्वा आचमनं दद्यात् // 5 // ॐ उच्छिष्टोप्यशुचिर्वापि यस्य / स्मरणमात्रतः // शुद्धिमामेति तस्मै ते पुनराचमनीयकम् // 1 // ॐ भ० श्रीविष्णवे नमः आचमनं समर्पयामि // इत्याचमनं // 175 // दत्त्वा मूलेन गंडूषार्थ जलं च दद्यात् // 6 // ॐ पूगीफलं महदिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम् // एलाचर्णादिसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् // 3 // इति ताम्बूलम् // 7 // ॐ इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव // तेन मे सफलावानिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि // 1 // इति फलम् For Private And Personal Use Only