________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir // 17 // मं. मा Lalu // " इत्ययं दत्त्वा स्नानवस्त्रं परिपीड्य आचम्य नित्यनैमित्तिकं समाप्य द्वादशोर्ध्वपुंडू तिलकं कुर्यात् // अथ द्वारपूजा पू० ख० 1 प्रयोगः // पूजागृहद्वारमागत्य अस्त्राय फडिति द्वारं संप्रोक्ष्य दक्षिणशाखायाम् ॐ गं गणपतये नमः // 1 // ॐ दुं दुर्गायै नमः॥२॥ वि.तं. वामशाखायाम् ॐ वं बटुकाय नमः // 3 // ॐ शं क्षेत्रपालाय नमः // 4 // द्वारोपार ॐ में सरस्वत्यै नमः // 5 // देहल्यामतरं०७ ॐ सुदर्शनायास्त्राय फट् // इति पूजयेत्॥ जपस्थाने गत्वा “ॐ गृहीतस्यास्य मंत्रस्य पुरश्चरणसिद्धये // मयेयं गृह्यते भमिर्मत्रोयं सिद्धिमे त्विति // 1 // " इति मंत्रण भूमि संगृह्य अश्वत्थोदुबरप्लक्षाणामन्यतमस्य वितस्तिमात्रान दश कीलान् “ॐ नमः मुदर्शनायाखाय फट्" इति मंत्रणाष्टोत्तरशतवारानभिमंत्रितान् “ॐ ये चात्र विनकर्तारो भुवि दिव्यंतरिक्षगाः // विन्नभूताश्च ये चान्ये मम मंत्रस्य सिद्धिषु // 1 // मयैतल्कीलितं क्षेत्र परित्यज्य विदूरतः // अपसर्पतु ते सर्वे निर्विघ्नं सिद्धिरस्तु मे // 2 // " इति मंत्रद्वयेन दशदिक्षु दश कीलान निखनेत्॥ ततस्तेषु “ॐ सुदर्शनायास्त्राय फट्" इति मंत्रेण प्रत्येकं कीलं संपूज्य तत्रैव पूर्वादिक्रमेण इन्द्रादिलोकपालानाबाह्य ) पंचोपचारैः संपज्य जपस्थानमध्ये गणेशकूर्मानंतवमुधाक्षेत्रपालांश्च संपूज्य दिक्पालेन्यः क्षेत्रपालगणपत्यादिश्यश्च बलिं दत्त्वा तदाह्ये भूतबलिं दद्यात्॥ तत्र मंत्रौ॥ "ये रौद्रा रौद्रकर्माणो रौद्रस्थाननिवासिनः।। मातरोप्युग्ररूपाश्च गणाधिपतयश्च ये // 3 // भचराः खेचरा चैव तथा चैवांतरिक्षगाः। ते सर्वे प्रीतमनसः प्रतिगृहंत्विमं बलिम् // 2 // " इति मंत्रद्वयेन दशदिक्ष बाह्ये माषभक्तबलिं दत्त्वा वामकरां। गुलिभिरय॑जलेनोत्सृज्य पुष्पांजलिं गृहीत्वा " ॐ भतानि यानीह वसंति भूतले बलिं गृहीत्वा विधिवत्प्रयुक्तम् / / संतोषमासाद्य व्रजंतु // सर्वे क्षमंतु नान्यत्र नमोस्तु तेत्यः॥ 1 // " इति पुष्पांजलिं दत्त्वा प्रणम्य हस्तौ पादौ प्रक्षाल्याचामेत् // इति क्षेत्रकीलनम् // अथ| For Private And Personal Use Only