________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir पूजनदिग्विभागः शिवरहस्य)उत्तराभिमुखैः कार्य श्रीमहादेवपूजनम्॥प्राङ्मुखेनाथ वा कार्य श्रीमहादेवपूजनम्॥पश्चिमाभिमुखैर्वापि कर्त / / व्य शिवपूजनम्॥दाक्षेणाभिमुखेमत्यैर्न कर्तव्यं शिवार्चनम् // ११६॥(ताराकाल्युपासनायां दिग्विभागः फेत्कारिण्याम)पाङ्मुखोदङ्मुखो / दापि वक्ष्यमाणक्रमेण तु // श्रीकामः शान्तिकामो वा पश्चिमाभिमुखः स्थितः॥११७॥ (कालिकापुराणे) दिग्विभागेषु कौबेरी दिक शिवाप्रीतिदायिनी // तस्मात्तन्मुख आसीनः पूजयच्चांडकां सदा // 118 // (अथ स्नाननिर्णयः ) स्नानं त्रिषवणं प्रोक्त मशक्तौ द्विः सात्तथा // अनातस्य फलं नास्ति न च पितृनतर्पतः // 119 // (अथ तिलकनिर्णयः ) केशवायभिधानस्त स्थानेषु द्वादशस्वपि // ललाटोदरहत्कंटदक्षपाधीसकं ततः // 120 // वामपाश्चसिकणे च पृष्ठदेशे ककुद्यपि // ललाटे तु गदा काद्धदये नंदकं पुनः // 121 // शंख चक्रं भुजवे शाङ्ग बाणं च मूर्द्धनि // इत्थं तु वैष्णवः कुर्याच्छैवः कर्याधिपंडकमत // 122 // अग्निहोत्रोत्थितं भस्मादायानिरिति मंत्रतः !! अभिमंत्र्य व्यंबकेन कुत्पिंच त्रिपुंडकम् // 123 // (अथ आसननिर्णयः // (मंत्रमहोदधौ ) जपन्निधाय दर्भास्त्रीन्कुशचमोदरासने // काष्टपल्लववंशाश्मगोशकतृणमृन्मयम् / / विषयं कठिन मंत्री त्यजेदासनमाधिदम् // 124 // ( तंत्रांतरे ) वंशासने दरिद्रत्वं पाषणे व्याधिसंभवः // धरण्यां दुःखसंभूतिर्भािग्य दारुकासने // 125 // तूलकम्बलवस्त्राणि पट्टव्याघमृगाजिनम् // कल्पयेदासनं धीमान्सौभाग्यं ज्ञानसिद्धिदम् // 126 // तृणासने यशोहानिः पल्लवे चित्तविनमः // कृष्णासने ज्ञानसिद्धिमोक्षश्रीयाघ्रचर्मणि // 127 // स्यात्पौष्टिक च कौशेयं शांतिकं वेत्रविष्टरम् // वंशासने व्याधिनाशो कम्बले दुःखमोचनम् // 128 // स्यादाभिचारिकं नीले रक्त For Private And Personal use only