________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir नमः / रुक्मिणीश्रीपा० 7 ॐ सत्यभामायै नमः / सत्यभामाश्रीपा० 8 इत्यष्टौ पट्टरालीः पूजयित्वा पांजलिं च दद्यात / इति द्वितीयावरणम् // 2 // ततोऽदलापु प्राचीक्रमेण ॐ ऐरावताय नमः // 3 // ॐ पुंडरीकाय नमः // 2 // ॐ वामनाय नमः // 3 // ॐ कुमुदाय नः // 4 // ॐ अंजनाय नमः // 5 // ॐ पुष्पदन्ताय नमः // 6 // ॐ भावीमाय नमः // 7 // ॐ मुप्रतीकाय नमः // 8 // इत्यष्टी गजान पूजयित्वा पुष्पां नवविधकृष्णमंत्रस्वरूपचक्रम। जलिं च दद्यात् // इति तृतीयावरणम् // 3 // | की कृष्णाय स्वाहा / / इति रडवरो मंत्रः। ततो भुपुरे पूर्वादिक्रमेण इन्द्रादिदशदि / गोपीजनबल्लभाय स्वाहा / दिशाक्षरी मंत्रः। मालान बजायायुधानि च संपूज्य पुष्पांजलि | हाकेशाय नमः / इस्पाक्षरी मंत्रः। श्री हाँक्री कृष्णाय स्वाहा। च दद्यात् // इत्यावरणपूजां कृत्वा धपादि इत्याक्षरी मंत्रः। ओ हो की कृष्णाय गोविंदाय स्वाहा। इति द्वादशाक्षरो मंत्रः। नमस्कारांत संपूज्य जां कुर्यात् // अस्य नमो भगवते रुक्मिणीवल्लभाय स्वाहा। अति घोडशाक्षरो मंत्रः। पुरश्चरणमयुतद्वयात्मको जपः // तनदशांशेन की कृष्णाय हीं गोविंदाय आ गोपीजनवल्लभाय स्वाहा सौं | इति द्वाविंशत्यक्षरो मंत्रः। होम तर्पणमार्जनं ब्राह्मणनोजनं च कुर्यात् / | नमा भगवते नंदपुत्राय बाळादिव पुष श्यामलाय गोपीजन बलभाय स्वाहा। इति त्रयविंशदलरो मंत्रः / एवं कृते मंत्रः सिद्धो भवति / एवं सिद्ध मंत्र मंत्री की है। श्री गोपीजनवल्लभाय स्वाहा। इति चतुर्दशाक्षरो मंत्रः। . प्रयोगान् साधयेत् / तथा चामंत्रमेनं यथान्याथ पूजनादिकं सर्व पूर्ववत्. For Private And Personal use only