________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir / मं०म० अयाझरीकृष्णपूजनयंत्रम्, पू० ख०१ वि० त. तरं०७ // 159 // आग्नेय्यादिक्रमेण // क्ली कृष्णाय हृदयाय नमः / हृदयश्रीपादुकां पूज यामि तर्पयामि नमः / इति सर्वत्र // 3 // गोविंदाय शिरसे स्वाहा शिरःश्रीपा० // 2 // गोपीजनशिखायै वौषट् / शिखाश्री० // 3 // वल्लभाय कवचाय हुँ / कवचश्रीपा० // 4 // स्वाहा अस्वाय फट / अस्वश्रीपा० // 5 // इति पंचांगानि पूजयेत् / ततः पुष्पाजलिमादाय मूलमुच्चार्य “ॐ अभीष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल // भक्या समर्पये तुल्यं प्रथमावरणार्चनम्॥१॥"इति पठित्वा पुष्पांजलिं च दत्त्वा पूजितास्त पिताः संतु इति वदेत / इति प्रथमावरणम्॥१॥ततोऽदले पूज्यपूजकयोरें तराले प्राची तदनुसारेण अन्या दिशः प्रकल्प्य प्राचीकमेग / ॐ कालि यै नमः / कालिंदीश्रीपा० // 1 // ॐ नाग्नजिन्यै नमः / नाग्नजिती श्रीपा० // 2 // ॐ मित्रबिंदायै नमः / मित्रविंदाश्रीपा० // 3 // ॐ चारुहासिन्यै नमः। चारुहासिनीश्रीपा०॥४॥ॐ रोहिण्यै नमः। रोहिणी श्रीपा० // 5 // ॐ जांबवत्यै नमः। जांबवतीश्रीपा०॥६॥ॐ रुक्मिण्यै ॐकृति प्णायगी. // 15 // For Private And Personal Use Only