________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्रिष्णाय हृदयाय नमः१ गोविंदायशिरसे स्वाहा 2 गोपीजन शिखायै वषट् 3 वल्लनाय कवचाय हुँ 4 स्वाहा अस्वायफट् इति हृदया| दिपंचांगन्यासः / एवं न्यासं कृत्वा ध्यायेत् / अथ ध्यानम् / स्मरेद्वक्षवने रम्ये मोहयंतमनारतम् / गोविंदं पुंडरीकाक्षं गोपकन्याःसहस्र शः॥१॥आत्मनो वदनांभोजप्रेषिताक्षिमधुव्रताः।।पीडिताः कामबाणेन विरमाश्लेपणोत्सुकाः॥२॥ मुक्ताहारलसत्पीनतुंगस्तनभरानताः॥ सस्तवम्मिल्लवसना मदस्खलितभाषणाः // 3 // दंतपंक्तिप्रभोद्भासिस्पंदमानाधरांचिताः॥ विलोभयंती विविधविश्वमैर्भावगर्भितैः॥ 4 // फुल्लेन्दीवरकांतमिन्दुवदनं बावतंसं प्रियं श्रीवत्सांकमुदारकौस्तुभधरं पीतांबरं सुंदरम् // गोपीनां नयनोत्पलार्चिततनुं गोगोपसंघावृतं गोविंद कलवणुवादनपरं दिव्यांगभूषं भजे // 5 // इति ध्यायेत् / ततः पीठादी रचिते सर्वतोभद्रमंडले ॐ में मंडकादिपरतत्वांतपीठ देवताभ्यो नमः / इति पीठदेवताः संपूज्य नव पीठशक्तीः पूजयेत् / तद्यथा / पूर्वादिक्रमेण / ॐ विमलायै नमः // 1 // ॐ उत्कर्षि पाण्यै नमः // 2 // ॐ ज्ञानायै नमः // 3 // ॐ क्रियायै नमः // 4 // ॐ योगायै नमः // 5 // ॐ प्रहयै नमः // 6 // ॐ सत्यायै नमः॥७॥ ॐ ईशानायै नमः // 8 // मध्ये-ॐ अनुग्रहाय नम : // 9 // इति पूजयेत् / ततः स्वर्णादिनिर्मित यंत्रं मूर्ति वा ताम्रपात्र निधाय घृतेनास्यज्यतदुपरि दुग्धधारां जलधारां च दत्त्वा स्वच्छवस्त्रेण संशोष्य / ॐ नमो भगवते श्रीकृष्णाय सर्वभूतात्मने वासुदेवाय सर्वात्मसंयोगप्रपीठात्मने नमः / इति मंत्रण पुष्पाद्यासनं दत्त्वा पीठमध्ये संस्थाप्य प्रतिष्ठां च कृत्वा पुनर्थ्यात्वा मूलेन मूर्ति प्रकल्प्य आवाहनादिपुष्पांतैरुपचारैः संपूज्य देवाज्ञया आवरणपूजां कुर्यात् / तद्यथा। पुष्पांजलिमादाय / ॐ संविन्मयः परादेवः परामृतरस | प्रिय // अनुज्ञां कृष्ण मे देहि परिवारार्चनाय मे // 1 // इति पठित्वा पूष्पांजलिं च दत्त्वा आवरणपूजामारभेत् // तद्यथा / पंचकोणे For Private And Personal Use Only