________________ Shri Maharan Aradhana Kendra www.kabath.org Acharya Shri Kalassagarsun yanmandir मं०म० // 158 // तारो मायारमानगवाकवबीजैस्तु पडिधः // 3 // त्र्यक्षरो मंत्रराजः स्यात्सर्वाभीष्टफलप्रदः // यक्षरश्चन्द्रादांतो मंत्रोयं चतुरक्षरःपू० ख०१ // 4 // रामाय हृन्मनुः प्रोक्तो मंत्रः पंचाक्षरोड परः // पंचाशन्मातृकावर्णप्रत्येकपूर्वको मनुः // 5 // लक्ष्मीबाग्मन्मथादिश्च तारा वि० सं० दि स्यादनेकधा / / वह्निस्थं शयनं विष्णोरु चन्द्रविभूषितम् // 6 // एकाक्षरो मनुः प्रोक्तो मंत्रराजः मुरद्रुमः॥ ब्रह्मा मुनिः स्यागायत्री थे। छंदो रामस्तु देवता // 7 // एकाक्षरेतु द्वादशलक्षजपः // अन्येषां षड्लक्षजपः // इति राममंत्रप्रयोगः // अथ रामनामलेखनविधिः (श्रीमदानंदरामायणे मनोहरकांडे) शृणुष्व विष्णुदास त्वं यत्नेहं प्रवदामि च॥तुष्टयर्थं रामचन्द्रस्य नित्यं पत्रे तु मानवैः॥लेखनीयं रामनाम शतानि नव प्रत्यहम् // अथवाष्टोत्तरशतं पूजनीयं सविस्तरम् // 2 // एवं कोटिमितं लेख्यं लक्षं वास्तु ततः परम् // हवनं हि दशांशेन / कर्तव्यं विधिपूर्वकम्॥३॥इदं विष्णुरिति ऋचा तिलाज्यैः पायसेन वा॥नवान्नेनाऽथ वा कार्य राघवं परिपूज्य च // 4 // युधिष्ठिरस्तु तच्छ्रुत्वा करिष्यति यथाविधि॥मासत्रयेण तस्यैव राजप्राप्तिर्भविष्यति॥५॥अंते च परमं स्थानं गमिष्यति मनोबलम्॥ इति रामनामलेखन विधिः // अथ कृष्णमंत्रप्रयोगः॥मंत्रो यथा (शारदातिलके) "क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा” इत्यष्टादशाक्षरो मंत्रः॥ अस्य विधानम्॥अस्य मंत्रस्य नारद ऋषिः। गायत्री छंदः। श्रीकृष्णो देवता / क्लीं बीजम् / स्वाहा शक्तिः / चतुर्विधपुरुषार्थसिद्धयर्थे / जपे विनियोगः ॐ नारदऋषये नमः शिरमि॥१॥ॐ गायत्री छंदसे नमः मुखे॥२॥ श्रीकृष्णदेवतायै नमः हृदि॥३॥क्लीं बीजाय नमः 5 गुह्ये // 4 // स्वाहाशक्तये नमः पादयोः // 5 // विनियोगाय नमः सर्वांगे // 6 // इति ऋष्यादिन्यासः॥ की कृष्णाय अंगुष्ठाभ्यां नमः 1 |गोविंदायतर्जनीयां नमः२ गोपीजन मध्यमाभ्यां नमः३ वल्लनाय अनामिकाभ्यां नमः४ स्वाहाकनिष्ठिकाभ्यां नमः 5 इति करन्यासः H // 158 // For Private And Personal use only