________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir म. म. आरंभे तु पुरश्चर्या हरौ सुप्ते न चाचरेत् // 76 // (स्मृतितत्त्वे) पूर्णिमा पंचमी चैव द्वितीया सप्तमी तथा // त्रयोदशी च दशमी०१खं०१ प्रशस्ता सर्वकामदा // या तिथिर्यस्य देवस्य तस्यां वा शुभदः स्मृतः // ७७॥(पुरश्चरणदीपिकायाम् )मंत्रारंभी रखौ शुक्रे बुधे जीवे तर० 1 विशेषतः // शनौ मृत्युः क्षयो भौमे सोमे मध्यफलं स्मृतम् // 78 // ( मुहूर्तगणपतौ )पुनर्वसुद्वये हस्तै व्युत्तरे श्रवणत्रये // रेवतीद्वितये हस्तेऽनुराधारोहिणीद्वये // शांतिक पौष्टिकं कर्म पुण्याहे कीर्तितं बुधैः // 79 // (पुरश्चरणदीपिकायाम् ) अश्विनीरोहिणी स्वातीविशाखाहस्तभेषु च // ज्येष्ठोत्तरात्रयेष्वेव कुर्यान्मंत्राभिषेचनम् // 80 // (शब्दकल्पद्रुमे ) आायां कृत्तिकायां च मंत्रारंभः / प्रशस्यते // यदीशस्य कशानोर्वा मंत्रारंभं यथाक्रमम् // 8 // स्थिर लग्नं विष्णुमंत्रे शिवमंत्रे चरं ध्रुवम् / / द्विस्वभावगतं लग शक्तिमंत्रे प्रशस्यते // 82 // अथ भक्ष्याभक्ष्यनिर्णयः॥(शारदातिलके )भक्ष्यं हविष्यं शाकानि विहितानि फलं ययः॥मूलं सर्यवोध लनो भक्ष्याण्येतानि मंत्रिणाम् // 83 // ( पुरश्चरणदीपिकायाम् )चरुमूलफलक्षीरदधिभिक्षान्नसक्तवः // शाकाश्चाष्टविधं चान्नं साधकस्योच्यते बुधैः // 84 // (नारदीये) पयोवतस्य सिद्धिः स्यालक्षेणैव न संशयः // शाकभक्ष्यहविष्याशी कलौ लक्षत्रयं जपेत् // ॥४५॥(देवीभागवते ) भिक्षान्नं शुद्धमानीय रुत्वा भागचतुष्टयम् // एके भागो द्विजे भक्तो गोग्रासे च द्वितीयकः।।८६ // अतिथि। यस्तृतीयस्तु तदूर्ध्व शिशुभार्ययोः // आश्रमस्य यथा यस्य कृत्वा यासविधि क्रमात् ॥८७॥तदृ संख्यया स्यादा वानप्रस्थगृहस्थयोः // 3 // कुछटांडप्रमाणं तु यासमान विधीयते॥८॥अष्टौ ग्रासान्गृहत्यच वानस्यत्तदर्धकम् / / ब्रह्मचारी यथेष्टं च गोमूत्रविधिपूर्वकम् / / 89 // ब्रह्मपात्रे तु मुंजीत मध्यपत्रविवर्जिते / दक्षं ब्रह्मोतरं विष्णुमध्यपत्रं महेश्वरः ।।अन्यथा भोजनादोषात् सिद्धिहानिः प्रजायते // 9 // For Private And Personal Use Only