________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir दीक्षा कार्यान्यकालेपि पवित्रे गुरुपर्वणि // 64 // (शैवागमे च)॥ सतीर्थे कविधुमासे पुण्यारण्ये वनेषु च // पुण्यक्षेत्रे कुरुक्षेत्र || देवीपीठे चतुष्टये // प्रयागे श्रीगिरी काश्यां कालाकालं न शोधयेत् // 65 // (उपदेशसुधातंत्रे) // चंद्रसूर्यग्रहे चैव सिद्धक्षेत्रे शिवालये ॥मंत्रमात्रप्रकथनमुपदेशः स उच्यते // 66 // (सारसंहिता याम)तिथिं विनापि दीक्षायां विशिष्टं वासरं शृणु // दुर्लभे सद्गुरूणां / च सकत्संग उपस्थिते // 67 // तदनुज्ञा यदा लब्धा स दीक्षावसरो महान् // ग्रामे वा यदि वारण्ये क्षेत्रे वा यदि वा निशि // आगच्छति गुरुर्देवो यदा दीक्षा तदा भवेत // 68 // ( तत्त्वसारे) यदेवेच्छा तदा दीक्षा गुरोराज्ञानुरूपतः // नतिथिन व्रतो होमो न स्नानं न जपक्रिया // दीक्षायाः कारणं किं तु स्वेच्छा वाज्ञा गुरोरिह // 69 // (वैशंपायनसंहितायाम् ) // संध्यागजित निर्घोषभूकंपोल्कानिपातनम् // एतानन्यांश्च दिवसान स्मृत्युक्तांश्च परित्यजेत् // 70 // (नारदीये ) आचार्यादनभिप्राप्त मंत्रश्चादत्तदक्षिणः // यस्तोपि सदा मंत्रः श्रेयसे नावकल्पते // 71 // अथानुष्ठानारंभे मुहूर्तनिर्णयः॥ (रुद्रयामले ) कार्तिकाश्विवैशाखमाघेथ मार्गशीर्षक // फाल्गुने श्रावणे मंत्रपुरश्चर्या प्रशस्यते // 72 // (वैशंपायनसंहितायाम् ) // || मंत्रस्यारंभण मेषे धनधान्यप्रदं भवेत् // वृषे मरणमामोति मिथुनेऽपत्यनाशनम् // 73 // कर्कटे सर्वसिद्धिः स्यात् सिंहे मेधाविनाश / नम् // कन्या लक्ष्मीपदा नित्यं तुलायां सर्वसिद्धयः // 74 // वृश्चिके स्वर्णलाभः स्यादनुर्मानविनाशनम् // मकरः पुण्यदः प्रोक्तः कुंभो धनसमृद्धिदः // मोनो दुःखप्रदो नित्यं मे मासविधिक्रमः // 75 // (तंत्रसारे) चन्दतारानुकूले च शुक्लपक्षे शुभे दिने / For Private And Personal Use Only