________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir म० मं. स्तथा मातामहस्य च // सोदरस्य कनिष्ठस्य वैरिपक्षाश्रितस्य च // 19 // शूद्राणां च तथा स्त्रीणां गुरुत्वं न कदाचन // ०१खं०१ योग्यमाद्यं गुरुं त्यक्त्वा शिष्यः शूद्रं क्रियाविदम् // गुरुं समाश्रयेदन्यं यः प्रयाति स दुर्गतिम् // 50 // अथ त्याज्यशिष्यः // तरं० 1 न देयमर्थलुब्धाय पिशुनायास्थिराय च // भक्तिश्रद्धाविहीनाय शुश्रूषाविमुखाय च // 51 // दीक्षा मुहूर्तनिर्णयः // वैशाखे / श्रावणे वापि आश्विने कार्तिकेथ वा // फाल्गुने मार्गशीर्षे वा कुर्य्यान्मंत्रस्य दीक्षणम् // 52 // (सिद्धांतशेखरे) // शरत्काले च मंत्रस्य दीक्षा श्रेष्ठफलप्रदा // फाल्गुने मार्गशीर्षे च ज्येष्ठे दीक्षा तु मध्यमा // 53 // आषाढे आवणे माघे कनिष्ठा सद्भिराहता // निन्दितश्चाधिमासस्तु पौषो भाद्रपदस्तथा // 54 // मुक्तिकामैः कृष्णपक्षे भूतिकामैः सिते सदा / / पूर्णिमा पंचमी ) चैव द्वितीया सप्तमी तथा // 55 // त्रयोदशी च दशमी प्रशस्ताः सर्वकामदाः // वो गुरौ विधौ दीक्षा कर्तव्या बुधशुक्रयोः // 56 // |अश्विनीरोहिणीस्वातीविशाखाहस्तभेषु च // ज्येष्टोत्तरात्रये चैव कुन्मिंत्राभिषेचनम् // 57 // श्रवणा धनिष्ठा च पुष्यः / / शतभिषा तथा // दीक्षानक्षत्रजातानीत्याहुस्तंत्रार्थकोविदाः // 58 // मेषकर्कटकन्यासु तुलायां वृश्चिके तथा // मकरे कुम्भके चैव दीक्षा सर्वशुभावहा // 59 // षष्ठी भाद्रपदे मास्याश्विने कृष्णा त्रयोदशी / / कार्तिके नवमी शुक्ला श्रावणे कृष्णपंचमी // // 6 // एतानि देवपर्वाणि तीर्थकोटिफलानि च // निन्दितेष्वपि मासेषु दीक्षोक्ता ग्रहणे शुभा // 61 // 2 // न मासतिथिवारादिशोधनं सूर्यपर्वणि // सिद्धिर्भवति मंत्रस्य विनात्यासेन वेगतः // 62 // (रुद्रयामले ) सतीर्थेकविधुयासे महापर्वणि चैव हि // मंत्रदीक्षां प्रकुर्वाणो मासादीन्न शोधयेत् // 63 ॥संहितायाम् ) विषुवेप्ययनद्वंद्वै संक्रांत्यां दमनोत्सवे // For Private And Personal Use Only