________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir ध्दपतिर्वङ्गी पवनारः शमनो लोहित गुरुरायो वि विश्वामित्रो धनेश्वरः // ब्रह्मज्योतिर्वसुर्धामा महाज्योतिरनुत्तमः // 74 // मातामहो मातरिश्वा नास्वान्नागहारधृक् / पुलस्त्यः / पलहोगस्त्यो जातकर्ण्यः पराशरः // 75 // निरावरणनिर्वारो वैरंच्यो विष्टारश्रवाः // आत्मभूरनिरुद्धोत्रिर्ज्ञानमूर्तिमहायशाः 76 // लोकवीरायणीवीरश्चन्द्रः सत्यपराक्रमः // व्याल कल्पो महाकल्पः कल्पवृक्षः कलाधरः // 77 // अलंकरिष्णुरचलो रोचिष्णर्विक्रमोम्बरः॥ आशुः शब्दपतिर्वशी पवनः शिखिसारथिः // 78 // असंमृतिपतिः शक्रप्रमादः पादपासनः॥ वसुश्रवाः कव्यवाहः प्रततो विश्वभोजनः॥ 79 // जप्यो जरारिः शमनो लोहिताश्वस्तनूनपात् // नभोयोनिः सुनिष्पन्नः सुरभिः शिशिरात्मकः // 80 // वसंतो माधवो ग्रीष्मो नभःस्थो बीजवाहनः // अंगिरा गुरुरायो विमलो विश्ववाहनः // 81 // पावनः पुरुजिच्छकविद्यो नरवारणः // मनोबुद्धिरहंकारः क्षेत्रज्ञः क्षेत्रपालकः // 82 // जमदनिर्जलनिधिविगोलो विश्वगोलकः // अघोरानुत्तरो यज्ञः श्रेष्ठो निःश्रेयसालयः // 83 // शैलो गगनकुंदाभो दानवारिररिंदमः // चामुण्डाजीवकश्चारुनिःशल्यो लोक कल्पधक्॥८४॥चतुर्वेदश्चतुर्भावश्चतुरश्चतुरप्रियः॥आम्नायोथ समाम्नायस्तीर्थवेदशिवालयः॥८५॥ बहुरूपो महारूपः सर्वरूपश्चराचरः॥ नयनिर्मापको न्यायो न्यायगम्यो निरंजनः // 86 // सहस्रमूर्द्धा देवेन्द्रः सर्वशाखप्रभंजनः।। मुण्डो विरूपो विक्रांतो दण्डतिाण्डगुणोत्तमः / / // 87 // पिंगलामो हयग्रीवो नीलग्रीवो निरामयः॥सहस्रबाहुः सर्वेशः शरण्यः सर्वलोकधृक्॥८८॥ पद्मासनः परंज्योतिः परं सारं परं / फलम् // पद्मगर्भो महागर्भो विश्वगर्भो विचक्षणः // 89 // चराचरज्ञो वरदो वरेशस्तु महास्वनः // देवासुरगुरुर्देवो देवासुरनमस्कृतः। // 90 // देवासुरमहामित्रो देवासुरमहाश्रमः // देवादिदेवो देवागिर्दैवासुरवरप्रदः // 91 // देवामुरेश्वरो दिव्यो देवासुरमहेश्वरः // For Private And Personal Use Only