________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.koba .org Acharya Shet Kalassagasun Gyanmandir शि० तं. तरं०६ मं० म. I देवदेवो महाचित्यो देवतात्मात्मसंभवः // 92 // सयोनष्टासुरव्याघो देवसिंहो दिवाकरः॥ विबुधाग्रचरः श्रेष्ठः सर्वदेवोत्तमोत्तमः॥९३॥ // 14 // शिवज्ञानप्रदः श्रीमान् शिखी श्रीपर्वतप्रियः॥ वज्रहस्तः सिद्धखङ्गी नरसिंहनिपातनः॥५४॥ ब्रह्मचारी लोकचारी धर्मचारी धनाधिपः॥ नंदी नंदीश्वरो नंदो लग्नवृत्तिधरः शुचिः॥ 95 // लिङ्गाध्यक्षः सुराध्यक्षो योगाध्यक्षो युगावहः॥ स्व‘मा स्वर्गतः स्वामी स्वरः स्वरतमस्वनः॥ 96 // बोधाध्यक्षो बीजकर्ता धर्मकद्धर्मसम्भवः // दभो लोभोथ वैशंभुस्सर्वभूतमहेश्वरः॥९७॥ श्मशाननिलयस्यक्षः / सेतुरप्रतिमारुतिः // लोकोत्तरः स्फुटालोकस्यंबको नागभूषणः // 98 // अंधकारिमयदेवी विष्णोः स्कंधरतात्मकः // हितदश्च भयगुणो दक्षारिः पूषदंतभित् // 99 // पूर्जनिः खंडपरशुः सकलो निष्कलो मुनिः // अकालः सकलाधारः पांडुरोगो मृगोनगः // 100 // पूर्णः पूरयिता पुण्यः सुकुमारःसुलोचनः // संगो गोपप्रियाक्रूरः पुण्यकीर्तिरनामयः // 10 // मनोजवस्तीर्थकरो जटिलोजीवितेश्वरः // जीवितांतकरो नित्यो वसुरेता वसुप्रदः // 102 // सुजातिः सत्कृतिः सिद्धिः सजातिः कालकंटकः // कलाधरो महाकालभूतः सत्यपरायणः॥ 103 // लोकलावण्यकर्ता च लोकोत्तरसुखालयः // तेजोमयो थुविधरोलोक मानायणीरणुः // 104 // शुचिस्मितः प्रसन्नात्मा अजेयो दुरतिक्रमः // ज्योतिर्मयोनीरुजाङ्गोगङ्गाप्रेष्ठोजलेश्वरः // 105 // तुंबवी गोमहाकायोविशोकः शोकनाशनः // त्रिलोकपात्रिलोकेशः सर्वशुद्धिरधोक्षजः // 106 // अव्यक्तलक्षणो देवो व्यक्तोऽव्यक्तीविशां पतिः॥ परः शिवोवसु सासारोमानंदनोमयः // 107 // ब्रह्माविष्णुः प्रजापालोहंसोहंसगतिर्वयः // वेधाविधातास्रष्टाचसंहर्ताचचतु |र्मुखः॥ 108 // कैलासशिखरावासीसर्वावासीसदागतिः // हिरण्यगर्भोद्रुहिणाभूतनाथोऽथभूपतिः॥ 109 // सद्योगीयोगविद्योगी // 148 // - For Private And Personal Use Only