________________ Shri Mahar Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir म०म० लितविग्रहः / / 21 / / भस्मप्रियो भस्मशायी कामी कांतः कृतागमः // समावों निवृत्तात्मा धर्मपुंजः सदाशिवः // 22 // पू० ख०१ अकल्मषश्चतुर्बाहुर्दुरावासो दुरासदः / / दुर्लभो दुर्गमो दुर्गः सर्वायुधविशारदः // 23 // अध्यात्मयोगनिलयः सुतंतुस्तंतुवर्द्धनः // शुभांगो लोकसारंगो जगदीश जनार्दनः // 24 // भस्मशुद्धिकरो मेरुरोजस्वी शुद्धविग्रहः // असाध्यः साधुसाध्यश्च भृत्यमर्कटरूप तर०६ धक् // 25 // हिरण्यरेताः पौराणो रिपुजीवहरोऽचलः / / महाह्रदो महागतः सिद्धवृन्दारकेडितः // 26 // व्याघ्र चर्माम्बरो व्याली महाभूतो महानिधिः // अमृतानुभवः श्रीमान् पांचजन्यः प्रभञ्जनः // 27 // पंचविंशतितत्त्वस्थः पारिजातः परात्परः // सुलभः मुवतः शूरोवाङ्मयी कनिधिनिधिः // 28 // वर्णाश्रमगुरुवर्णी शत्रुजिच्छत्रुतापनः // आश्रमः क्षपणः क्षामो ज्ञानवानचलेश्वरः॥ 29 // प्रमाणभूतो दुर्जेयः सुपर्णो वायुवाहनः॥ धनुर्धरो धनुर्वेदो गुणः शशिगुणाकरः // 30 // सत्यः सत्यपरो दीनो धर्मागो धर्मसाधनः // अनंतदृष्टिरानन्दो दंडो दमयिता दमः // 31 // अभिचार्यो महामायो विश्वकर्मा विशारदः // वीतरागो विनीतात्मा तपस्वी भूतवाहनः // 32 // उन्मत्तवेषः प्रच्छन्नो जितकामोर्चतप्रियः // कल्पांतः प्रकृतिः कल्पः सर्वलोकप्रजापतिः // 33 // तरस्वी तारको धीमान प्रधानः प्रभुरव्ययः // लोकपालोंतहितात्मा कल्पादिः कमलेक्षणः // 34 // वेदशास्वार्थतत्त्वज्ञो नियमो नियमाश्रयः // चन्द्रः सूर्यः शनिः केतुविरागो विद्रुमच्छविः // 35 // भक्तिवश्यः परब्रह्म मृगबाणार्पणो नयः ॥अद्रिरद्यालयः / / कांतः परमात्मा जगद्गुरुः // 36 // सर्वकामालयस्तुष्टो मांगल्यो मंगलावृतः // महातपा दीर्घतपाः स्थविष्ठः स्थविरो द्रुमः // 37 // अहः संवत्सरो व्याप्तिः प्रमाणं परमं तपः // संवत्सरकरो मंत्रः प्रत्ययः सर्वदर्शनः॥३८॥ अजः सर्वेश्वरः सिद्धो महारेता महाबलः // 14611 For Private And Personal Use Only