________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir शि• तं तरं०६ मं० म. गंगाधरो ललाटाक्षः कालकालः कृपानिधिः // भीमः परशुहस्तश्च मृगपाणिर्जटाधरः॥ 4 // कैलासवासी कवची कठोरस्त्रिपुरांतकः॥२. खं.. ११४५वृषांको वृषभारुढो भस्मोद्धूलितविग्रहः // 5 // सामप्रियः स्वरमयस्त्रयीमूनिरनीश्वरः // सर्वज्ञः परमात्मा च सोमसूर्याग्निलोचनः // 6 // हविर्यज्ञमयः सोमः पंचवस्वः सदाशिवः।। विश्वेश्वरो वीरभद्रो गणनाथः प्रजापतिः // 7 // हिरण्यरेता दुईपों गिरीशो गिरिशोऽनघः // भजङ्गभूषणो जर्गो गिरिधन्या गिरिप्रियः // 8 // कृत्तिवासाः पुरारातिर्भगवान्प्रमथाधिपः // मृत्युञ्जयः सूक्ष्मतनुर्जगद्व्यापी जगद्गुरुः // 1 // व्योमकेशो महासेनो जनकश्चारुविक्रमः // रुद्रो भतपतिः स्थाणुरहिर्बुध्न्यो दिगम्बरः॥ 10 // अष्टमूर्तिरनेकात्मा सात्त्विकः शुद्धविग्रहः // शाश्वतः खण्डपरशुरजः पाशविमोचकः // 11 // मृडः पशुपतिर्देवो महादेवोऽव्ययः प्रभुः। पूषदंतभिदव्यग्रो दक्षाध्वर हरो हरः॥ 12 // भगनेत्रभिदव्यक्तः सहस्राक्षः सहस्रपात् // अपवर्गप्रदोऽनंतस्तारकः परमेश्वरः // 13 // इमानि दिव्यनामानि जप्यंते सर्वदा मया // नामकल्पलतेयं मे सर्वाभीष्टप्रदायिनी // 14 // नामान्येतानि सुभगे शिवदानि न संशयः // वेदसर्वस्वभूतानि नामान्येतानि वस्तुतः // 15 // एतानि यानि नामानि तानि सर्वार्थदान्यतः // जप्यंते सादरं नित्यं मया नियमपूर्वकम् // 16 // वेदेषु शिवनामानि श्रेष्टान्यबहराणि च // संत्यनंतानि सुभगे वेदेषु विविधेष्वपि // 17 // तेत्यो नामानि संगृह्य कुमाराय महेश्वरः // अष्टोत्तरसहस्रं तु नाम्नामुपदिशत्पुरा // 18 // " इति शिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् // अथ शिवसहस्रनामस्तोत्रप्रारम्भः // सूत उवाच // “श्रूयतामृषयः श्रेष्ठाः कथयामि यथाश्रतम् // विष्णुना प्रार्थितो येन संतुष्टः परमेश्वरः // 1 // तदहं कथयाम्यद्य पुण्यं // 15 // नामसहस्रकम् // श्रीविष्णुरुवाच // शिवो हरो मृडो रुद्रः पुष्करः पुष्पलोचनः॥२॥ अथिंगम्यः सदाचारः शर्वः शंभुमहेश्वरः // चन्द्रा For Private And Personal Use Only