________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir म. म. देवि कल्पं गांधर्वकं शिवे // क्रियासारं निबंधाख्यं स्वतंत्र तंत्रमुत्तमम् / / 17 // सम्मोहनं तंत्रराजं ललिताख्यं तथा शिवे // राधाख्य०१खं०१ मालिनीतंत्र रुद्रयामलमुत्तमम् / / 18 // बृहच्च श्रीक्रमं तंत्रं गवाक्षं कुसुमादिनि / विशुद्धेश्वरतंत्रं च मलिनोविजयं तथा // 19 // तरं० 1 समयाचारतंत्रं च भैरवीतंत्रमुत्तमम् // योगिनीहृदयं तंत्र भैरवं परमेश्वरि // 20 / / सनत्कुमारक तंत्र योनितंत्र प्रकीर्तितम् // तंत्रांतरं च / देवेशि नवरत्नेश्वरं तथा // 21 // कुलचूडामणि तंत्रं भावचूडामणीयकम्।।तंत्रदेवप्रकाशं च कामाख्यानामकं तथा // 22 // कामधेन कुमारी च भूतडामरसंबकम् // नलिनीविजयं तंत्रं यामलं ब्रह्मयामलम् // 23 // विश्वसारं महातंत्रं महाकुलकुलांतनम् // कुलोड्डीशं कुञ्जकाख्यं यंत्रचितामणीयकम् / / 24 / / एतानि तंत्ररत्नानि सफलानि युगेयुगे / कालीविलासकादीनि तंत्राणि परमेश्वरि२५॥ कलिकाले प्रसिद्धानि अश्वाकांतासु भूमिषु / / महानीचानि तंत्राणि अविकल्पे महेश्वरि / / 26 / / अथ साध्यजन्मनक्षत्रवृक्षा यथा। (शारदातिलके ) कारस्करोथ धात्री स्यादुदुंबरतरुः पुनः / / जंबूः खदिरकृष्णाख्यौ वंशपिप्पलसंज्ञकौ // 27 // नागरोहिणीनामानौ पलाशलक्षसंज्ञको / / अंबष्ठबिल्वार्जुनाख्यविकंकतमहीरुहाः // 28 // बकुलः सरलः सों बंजुलः पनसार्ककौ। शमीकदंम्बनिंबाम्रमधूका वृक्षशाखिनः / / 29 / / इत्यश्चिन्यादिक्रमेण योजयेत् // अथ युगभेदेन देवताभेदः / (पूजास्कंधे ) ब्रह्मा कृतयुगे देवस्वतायां भगवान् रविः।। द्वापरे भगवान् विष्णुः कलौ देवो महेश्वरः।।३०।। अथ पुरश्चरणकरणार्थमादाववश्यकज्ञातव्यपदा नाह ( कुलार्णवे ) विधि मंत्रं च करणी योनिमाद्यं च पक्षजम् // दीपाथै कर्मचक्राणि ज्ञात्वा कर्माणि साधयेत् // 3 // ऋपिच्छंदोदेवतांगन्यासध्यानार्चनादिकम् // बीजशक्ती कालवेधौ ज्ञात्वा मंत्राणि साधयेत् // 32 // पंचशुद्धासनं प्राणायामा न्यासाक्षिमा For Private And Personal Use Only