________________ Shri Mahavirian Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir // श्रीगणेशाय नमः // ॐ सरस्वत्यै नमः॥ // श्रीगुरुचरणकमलेन्यो नमः // // गणपति प्रणमामि सुसिद्धिदं हरसुतं कुचुमध्य / मुखं विभुम् / गिरिसुतां गणराजसुवंदितां शिवमिहेप्सितदं शिवदं नृणाम् // ३॥श्रीसूर्यप्रभृतीन्सुरांश्च सततं ये साक्षिणः कर्मणां राधा कृष्णपदारविन्दयुगलं ध्येयं सदा योगिभिः // सावित्र्य सुविभूषितं सुरवरं ब्रह्माणमीडेऽत्र ते ग्रंथे मंत्रमहार्ण वे प्रतिदिनं कुर्वन्तु सन्मंगलम // 2 // दृष्ट्वा तंत्राण्यनेकानि माधवाख्येन धीमता // वक्ष्यते कलिसिद्धोयं ग्रंथो मंत्रमहार्णवः // 3 // सर्वतंत्रेकमुकुट सर्वसारमय ध्रुवम्।।वक्ष्यामि परमप्रीत्या रहस्यं सर्वमंत्रिणाम् // 4 // नामूलं लिख्यते किंचिदिह विज्ञेयमादरात् // नैवात्र संशयः कार्यों नानाभेद विधानके // 5 // तंत्रांतरेष्वनेकानि विधानानि मुनीश्वरैः / / उक्तान्यनेकदेवानां प्रसिद्धानि च संति वै / / ६॥देशदेशाच्च तेषां वै संग्रहः क्रियते मया। साधकानां हितार्थाय श्रीदुर्गायाः प्रसादतः // त्रीणि खण्डानि ग्रंथेस्मिन्पूर्व मध्यं तथोत्तरम् // पुंदेवानां पूर्वखण्डे / श्रीदेवीनां च मध्यमे॥यक्षिणीप्रभृतीनां तु तथैवोत्तरखण्डके॥८॥ अनुष्ठानं मया प्रोक्तं तरंगैस्तु पृथक्पृथक्॥९॥ संगृहीतमिमं ग्रन्थं मया / / |च लघु बुद्धिनाअंगीकुर्वतु शास्त्रज्ञा दयां कृत्वा ममोपरि।।१०॥यदि दोषोभवेत्कुत्रचिन्मदज्ञानकारणात्।।प्रार्थये सुजनास्तद्वै क्षमध्य मे राधकम् // 11 // यदत्र वाक्यमधिकं न्यूनं यत्र च कुत्रचित // रोषमुत्सृज्य तत्सर्व निर्दोष कुरुत द्विजाः // 12 // (तत्रादौ तंत्रसंज्ञाः) सिद्दीश्वरं महातंत्र कालीतंत्रं कुलार्णवम् // ज्ञानार्णवं नीलतंत्रे फेत्कारीतंत्रमुत्तमम् // 13 // देव्यागमं चोत्तराख्यं श्रीक्रम / सिद्धियामलम् // मत्स्यसूक्तं सिद्धिसारं सिद्धिसारस्वतं तथा // 14 // वाराहीतंत्रं देवेशि योगिनतिंत्रमुत्तमम् / / गणेशमर्षिणीत नित्यतंत्र शिवागमम् // 15 // चामुंडाख्यं महेशानि मुंडमालाख्यतंत्रकम् / / हंसमाहेश्वरं तंत्रं निरुत्तरमनुत्तमम् / / 16 / / कुलप्रकाशक For Private And Personal Use Only