________________ Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org // 110 // i०म० // श्रीगणेशाय नमः // अथोच्छिष्टगणेशस्तवराजप्रारम्भः // उक्तं च रुद्रयामले // देव्युवाच // “पूजाते ह्यनया स्तुत्या स्तु खं०१ यात गणनायकम् / / नमामि देवं मकलार्थदं तं सुवर्णवर्ण भुजगोपवीतम् // गजाननं भास्करमेकदंतं लंबोदरं वारिभवासनं च // 1 // गतं. यरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुज पाशवराभयानि // मृणि च हस्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरखीयुगलेन युक्तम् // 2 // पडक्षरात्मानमन तरं०५ ल्पभूषं मुनीश्वरैर्भार्गवपूर्वकैश्च // मंसेवितं देवमनाथकल्पं रूपं मनोनं शरणं प्रपद्ये // 3 // वेदतिवेद्यं जगतामधीशं देवादिवंद्य मुक्तक गम्यम् // स्तंबेरमास्यं न च चन्द्रचूडं विनायकं तं शरणं प्रपद्ये // 4 // भवाख्यदावानलदह्यमानं भक्तं स्वकीयं परिषिंचते यः।। गंडल तांभोभिरनन्यतुल्यं वंदे गणेशं च तमोरिनेत्रम् // 5 // शिवस्य मौलाववलोक्य चन्दं सुशुंडया मुग्धतया स्वकीयम् // भग्नं विषाणं परिभाव्य चिने आकष्ट चन्द्रो गणपोऽवतां नः // 6 // पितुर्जटाजूटतटे सदैव भागीरथी तत्र कुतृहलेन // विहर्तुकामः स महीधपुन्या / निवाग्निः पातु सदा गजास्यः॥७॥लम्बोदरो देवकमारसंधैः क्रीडन्कुमारं जितवान्निजेन॥करेण चोनोल्य ननर्त रम्यं दन्तावलास्यो भयतः कम पायात् ॥८॥आगत्य योच्चैर्हरिनाभिपनं ददर्श तत्राशु करेण तच्च॥ उद्धर्तुमिच्छन्विधिवादवास्यं मुमोच भूत्वा चतुरो गणेशः॥९॥निरंतरं संस्कृतदानपट्टे लग्नांतुगुंजड्रमरावली वै // तं श्रोत्रतालैरपसारयंतं स्मरेङ्गजास्यं निजहृत्सरोजे // 10 // विश्वेशमौलिस्थितजह्वकन्या जलं गृहीत्वा निजपुष्करेण // हरं सलीलं पितरं स्वकीयं प्रपूजयन्हस्तिमुखः म पायात // 11 // स्तंबेरमास्यं घुसणांगरागं सिंदूर // 11 // पूरारुणकांतकुंभम् // कुचन्दनाश्लिष्ठकरं गणेशं ध्यायेत्स्वचिने सकलेप्टदं तम् // 12 // स भीष्ममातुर्निजपुष्करण जलं समादाय कचौ स्वमातुः // प्रक्षालयामास षडास्यपीतौ स्वार्थ मुदेऽसौ कलमाननोऽस्तु // 13 // सिंचाम नागं शिशुभावमासं केनापि मत्कारणतो धरिला For Private And Personal Use Only