________________ Shri Matavian Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir मंत्रितः॥ 16 // मतकोटिमहामत्रमंत्रिताशेषविग्रहः // गांगेयो गणसेव्यश्च ॐ श्रीद्वैमातुरः शिवः // 117 / / ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं / ग्लौं गं देवो महागणपतिः प्रभुः // इदं नामसहस्रं ते महागणपतेः स्मृतम् // 118 // गुह्यं गोप्यतमं सिद्धं सर्वतंत्रेषु गोपितम् // सर्वमंत्रमयं दिव्यं सर्वमंत्रविनायकम् // 119 / / ग्रहतारामयं राशिवर्णपंक्तिसमन्वितम् // सर्वविद्यामयं ब्रह्मसाधनं साधकप्रियम् / ॐ॥ 120 // गणेशस्य च सर्वस्वं रहस्यं त्रिदिवौकसाम् // यथेष्टफलदं लोके मनोरथप्रपुरणम् // 121 // अष्टसिद्धिमयं / श्रेष्ठं साधकानां जयप्रदम् // विनार्चनं विना होमं बिना न्यासं विना जपम् // 122 // अणिमाद्यष्टसिद्धीनां साधनं तस्मृतिमात्रतः // चतुर्थ्यामर्धरात्रे तु पठेन्मंत्री चतुष्पथे // 123 // लिखेद भूर्जे महादेवि पुण्यं नामसहस्रकम् // धारयेत्तं चतुर्दश्यां मध्याह्ने मूर्ध्नि वा भुजे // 124 // योषितामकरे चैव पुरुषो दक्षिणे भुजे // स्तंभयेदपि ब्रह्माणं मोहयेदपि शंकरम् / // 125 // वशयेदपि त्रैलोक्यं मारयेदखिलाविपून // उच्चाटयेच्च गीर्वाणं शमयेच्च धनंजयम् // 126 // वंध्या पुत्रं लोच्छीचं निर्धनो धनमाप्नुयात् // त्रिवारं यः पठेद्रात्री गणेशस्य पुरः शिवे // 127 // नक्तं शक्तियुतो देबि भुक्त्वा भोगान्यथेप्सितान् // प्रत्यक्षवरदं पश्येद्गणेशं साधकोनमः // 128 // पराहे पठ्यते नाम्नां सहस्रं भक्तिपूर्वकम् // तस्य वित्तादिविभवो दारायुःसंपदः / सदा // 129 // रणे राजभये द्यते पठेन्नामसहस्रकम् // सर्वत्र जयमामोति गणेशस्य प्रसादतः // 130 // इतीदं पुण्यसर्वस्वं |मंत्रनामसहस्रकम् // महागणपतेः पुण्यं गोपनीयं स्वयोनिवत् // " इति श्रीरुद्रयामलतंत्रे उच्छिष्टगणेशसहस्रनामस्तोत्रं समाप्तम् // For Private And Personal Use Only