________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir शुचिः पूर्वोत्तराषाढश्चोत्तराषाढ ईश्वरः॥६॥ श्रव्योभिजिदनंतात्मा श्रयोश्चेपितदानवः // श्रावणः श्रावणः श्रोता धनी धन्यो धनिमकः पू० खं० 1 // 62 // धनेशुकः मदा तीवः शीतकुंभः शरदद्युतिः / / पूर्वाभाद्रपदाभद्रश्चोत्तराजानुपादितः // 63 // रेणुकस्तनयो रामो रेवतीगतं. धरमणो रमी // अश्वयुकार्तिकेयेष्टो मार्गशीर्षों मृगोत्तमः // 64 // पौषश्वर्यः फाल्गुनात्मा बसंतश्चित्रको मधुः॥ राज्यदोभिजिदात्मीय तरं०५ सस्तारेशस्तारकद्युतिः // 65 // प्रतीतः प्रोजितः प्रीतः परमः परमो हितः // परहा पंचभूः पंचवायुपूज्यः परो महः // 66 // पुराणागमविद्योगी महिषो रासभोयगः // ग्रहो मेषो वृषो मंदो मन्मथो मिथुनाकतिः / / 67 // कल्पभृत्कंटकटको दीपो मर्कटशप्रभुः। कर्कटो घृणिकुक्कटो बनजो हंसयोहसः // 68 // सिंहसिंहामनो भूप्यो मुहुर्मूषकवाहनः / कन्याकलावतीपुत्रो कन्याप्रीतः कुलोदहः / // 61. // अतुल्यरूपोबलदस्तुल्यभृत्तुल्यसाक्षिकः॥ अलिश्वापधरो धन्वी कच्छपो मकरो मणिः॥ 70 // कुंभभृत्कलशः कुब्जी मीन। मांससुतर्पितः // राशिताराग्रहमयस्तिथिरूपो जगद्विभुः // 71 // प्रतापी प्रविपत्प्रेयो द्वितीयाद्वैतनिश्चितः // त्रिरूपश्च तृतीयाग्नि स्वयीरूपवयीतनुः // 72 // चतुर्थीवल्लभो देवो परागः पंचमीश्वरः // पडूरसास्वादको जातः पष्ठी पष्टीकवत्सलः / / 73 // मनाणव गतिः सारः सत्यमीश्वररोहितः // अष्टमीनंदनानंतो नवमीभक्तिभावितः // 74 // दशदिक्षतिपूज्यश्च दशमीद्रुहिणो द्रुतः // एका दशात्मगणपो द्वादशीयुगचर्चितः // 75 // त्रयोदशमणिस्तुत्यश्चतुर्दशस्वरप्रियः / / चतुर्दशेंद्रसंस्तुल्यः पूर्णिमानंदविग्रहः // 76 // // 108 // दर्शादर्शों दर्शगश्च वानप्रस्थो महेश्वरः॥ मौवीं मधुरवाग् मूलं मूर्तिमान्मेघवाहनः // 77 // महागजो जितक्रोधो जितशत्रुर्जयाश्रयः / रौद्रा रुद्रप्रियो रुद्रो रुद्रपुत्रोषनाशनः // 78 भवप्रियो भवानीटो भारभृद्भुतभावनः / / गंधर्वकुशलः कुंठो वैकुंठोऽबिष्टसेवितः॥ 79 // For Private And Personal Use Only