________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir निधिः // 43 // दविष्ठो दमनो हृष्टो दाना त्राता सिता समः // निर्गतो नैगमो गम्यो निर्जयो जटिलोऽजरः // 14 // जनजीवो जितारातिर्जगद्व्यापी जगन्मयः // चामीकरनिभो नान्यो नलिनायतलोचनः // 45 // रोचनामोचका | मंत्री मंत्रकोटिसमाश्रितः / / पंचभूतात्मकः पंचमायकः पंचवकः॥४६॥ पंचमः पश्चिमः पूर्वः पूर्णः कीर्णालकः कुणिः // कठोरहृदयग्रीवोलंकतो ललिताशयः // 47 // लोलचित्तो बृहन्नामो मासपक्षर्तुरूपवान // ध्रुवो द्रुतगतिबंधो धर्मवान्किंप्रियो नलः // 18 // अगस्त्यग्रस्तभुवनो भुवनैकमलापहः // सासरः स्वर्गतिः स्वक्षः मानंदः साधुपूजितः // 49 // मतीपतिः समरसः सनकः मरलः सरः॥ सुरप्रियो वसुमतिर्वासबो व पूजितः।। 50 / / वित्नदो विननाथश्च धनिनां धनदायकः / / राजीवनयनः स्मार्ता स्मृतिहा कनिकांबरः॥ 50 ॥अश्विनोश्चिमुखः शुनो भरणो भरणीप्रियः। कनिकासनकः कोलो रोहिणी रोहिणोपमः // 50 // कतबो / शोरिमंदी च रोहिणीमोहिनीभृतः // मृगराजो मृगशिरो माधयो मधुरध्वनिः // 53 // आर्टानलो महाबुद्धिमहोरगविभूषणः // Maक्षेपदंतविभवो चूकरालः पुनर्मयः // 14 // पुनर्देवः पुनर्जेता पुनर्जीवः पुनर्वसुः॥ तिमिरस्तिमिकेतुश्च तिमिवासरघातनः॥ 55 // तिष्यस्तुलाधरो भो विश्लेषाश्लेषदानराट् // मानवी माधवो माधो वाचालो मघवोयमः // 16 // मघो मघाप्रिये मेघो महाशंडो महाभुजः // पूर्वाफाल्गुणिकः प्रीतः फल्गुरुत्तरफाल्गुणः // 57 / / फेनिलो ब्रह्मदो ब्रह्मा समतंतुसमाश्रयः // घोणाहस्तश्चतुर्हस्तो हस्तिवको हलायुधः॥५०॥ चित्रांबरोर्चितपदः स्वस्तिदः स्वस्तिविग्रहः // विशाखाशिखिसेव्यश्च शिखिध्वजसहोदरः / / 59 // अणू। रेणूकरस्कारो रूरूरेणू सुतीनरः // अनुराधाप्रियो गधः श्रीमाञ्छुक्लः शुचिस्मितः // 60 // ज्येष्टः श्रेष्ठार्चितपदो मृलं त्रिजगतो गुरुः For Private And Personal Use Only