________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir - // 105 // हस्तिवक्रश्च शिरमि लंबोदरी ललाटके // 17 // उच्छिष्टो नत्रयोः पातु कौँ पातु महात्मने / पाशांकुशमहाबीजं नासिकायां च पू० ख०१ रक्षतु // 18 // भूतीश्वरः परः पातु आस्यं जिह्वां स्वयंवपुः / / तबीजं पातु मां नित्यं ग्रीवायां कंठदेशके // 19 // गंबीजं च तथागतं. रक्षेनथा त्वग्रे च पृष्ठके // सर्वकामच हृत पातु पातु मां च करद्वये // 20 // उच्छिष्टाय च हृदय वह्निबीजं तथोदरे // मयाबीज तथा कठ्यां द्वौ ऊरु सिद्धिदायकः // 21 // जंघायां गणनाथश्च पादौ पातु विनायकः // शिरमः पादपर्यंतमुच्छिष्टगणना नायकः // 20 // आपादमस्तकांतं च उमापुत्रश्च पातु माम् // दिशोष्टौ च तथाकाशे पाताले विदिशाष्टके // 23 // अहर्निशं च मां पातु मदचंचललोचनः // जलेऽनले च संग्रामे दुष्टकारागृहे वने // 24 // राजद्वारे घोरपथे पानु मां गणनायकः // इदं तु कवचं / गृह्यं मम वश्त्राद्विनिर्गतम् // 25 // त्रैलोक्ये सततं पातु द्विभुजश्च चतुर्भुजः // बाह्यमान्यतरं पान मिद्धिबुद्धिविनायकः // 26 // सर्वमिद्धिप्रदं देवि कवचमृद्धिसिद्धिदम // एकांत प्रपन्मत्रं कवचं युक्तिमंयुतम् // 07 / इदं रहम्य कवचमनिटष्टगणनायकम् // सर्वबर्मसु देवेशि इदं कवचनायकम् // 28 // एतत् कवचमाहात्म्यं वर्णितुं नैव शश्यते / धर्मार्थकाममोक्षं च नानाफलप्रदं / नणाम // 20 // शिवपुत्रः मदा पातु पातु मां च सुरार्चितः / / गजाननः मदा पातु गणराजश्च पातु भाम // 30 // सदा शक्तिरतः पातु। पातु मां कामविह्वलः / / सर्वाभरणभूषाट्यः पातु मां सिंदृरार्चितः // 31 // पंचमोदकरः पातु पातु मां पार्वतीसुतः // पाशांकुशधरःd पातु पातु मां च धनेश्वरः // 32 // गदाधरः मदा पातु पातु मां काममोहितः // नग्ननारीरतः पातु पात मां च गणेश्वरः // 33 // // 1.5 // च अक्षयं वरदः पातु शक्तियुक्तः सदावतु // भालचंद्रः मदा पातु नानारत्नविभूषितः // 34 // उच्छिष्टगणनाथश्च मदार्णितलोचनः // For Private And Personal Use Only