________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir कस्थः पुरुषो गजकर्णकः॥२॥ चित्रांकः श्यामदशनो भालचद्रश्चतुर्भुजः // शंभुतेजा यज्ञ कायः सर्वात्मा मामबंहितः // 3 // कुलाचलांसो व्योमनाभिः कल्पद्रुमवनालयः // निम्ननाभिः स्थलकुक्षिः पीनवक्षा बृहद्भुजः // 4 // पीनस्कंधः कंबुकण्ठो लम्बोटो लंबनासिकः / सर्वावयवसम्पूर्णः सर्वलक्षणलक्षितः॥ 5 // इश्चापधरः शूली कांतिकंदलिताश्रयः // अक्षमालाधरो ज्ञानमुद्रावान |विजयावहः // 6 // कामिनीकामनः काममालिनीकेलिलालितः // अमोघसिद्धिराधार आधाराधेयवर्जितः // 7 // इन्दीवरदलश्याम इन्दुमंडलनिर्मलः // कर्मसाक्षी कर्मकर्ना कर्माकर्मफलप्रदः // 8 // कमण्डलुधरः कल्पः कपी कटिमूत्रभृत् / / कारुण्यदेहः कपिलो गुह्यागमनिरूपितः // 9 // गुहाशयो गुहाधिस्थो घटकुंभो घटोदरः।। पूर्णानन्दपरानन्दो धनदो धरणीधरः / / 10 / / बृहत्तमो ब्रह्मपरो ब्रह्मण्यो ब्रह्मवित्प्रियः / / भव्यो भतालयो भोगदाता चैव महामनः / / 11 / / वरेण्यो वामदेवश्च बन्यो बजनिवारणः / / विश्वकर्ता विश्वचक्षुर्हवनं हव्यकव्यभुक् // 12 // स्वतंत्रस्सत्पसंकल्यस्तथा मौभाग्यवर्द्धनः // कीर्तिदः शोकहार्ग च त्रिवर्गफलदा यकः // 13 // चतुर्बाहुश्चतुर्दतश्चतुर्थीतिथिसंभवः॥ सहस्रशीर्पा पुरुषः सहस्रानस्सहस्रपात् // 14 // कामरूपः कामगतिबिरदो दीपरक्षकः // क्षेत्राधिपः क्षमाभा लयस्थो लड्डुकप्रियः // 15 // प्रतिवादिमुखस्तंभो दुष्टचिनप्रसादनः // भगवान भक्तिसुलभो याज्ञिको याजकप्रियः // 16 // इत्येवं देवदेवस्य गणराजस्य धीमतः।। शतमष्टोनरं नाम्नां भारभृतं प्रकीर्तितम् // 17 // सहस्रनाम्ना कृप्य मया प्रोक्तं स्तोत्रं मनोहरम्॥बाह्म मुहूर्ते चोत्थाय स्मृत्वा देवं गणेश्वरम्॥पठेत्स्तोत्रमिदं भक्त्या गणराजः प्रसीदति ॥१८॥इति श्रीरुद्रयामलतंत्र उमामहेश्वरसंवादे श्रीगणेशस्याष्टोनरनामस्तोत्रं समानम् // अथ वक्रतुण्डस्तोत्रप्रारंभः // ॐॐॐकाररूपं हिमकररुचिरं For Private And Personal Use Only