________________ Shri Mar Jain Aradhana Kendra www. bath.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir तज्वरम् // 188 // आगंतुविषमं शीतमृष्णं चैकाहिकादिकम् // इत्याद्युक्तमनुक्तं वा रोग दोषादिसम्भवम् // 189 // सर्व प्रशमयत्याशु स्तोत्रस्यास्य महजपात // मत पाठेन संसिद्धिः वीद्रपतितैरपि // 19 // महननाममंत्रायं जाव्यस्तु शुभातये // महागणपतेः स्तोत्रं मकामः प्रजपन्निदम् // 11.1 / इच्छया मकलान्भोगानुपभुज्येह पार्थिवान // मनोग्थफलैदिव्यैव्योमयानैर्मनो नारमैः // 192 // चन्द्रेन्द्रनास्करोपेन्द्रब्रह्मरुद्रादिमनन // कामरूपः कामगतिः कामतो विचरनिह // 113 // भुक्त्वा यथेष्मिता / भोगानभीष्टमह बन्धुभिः // गणेशानुचरो भूत्वा महागणपतेः प्रियः // 194 // नन्दीश्वरादिमानन्दी नन्दितः भकलंगणैः / / शिवान्यां कृपया पत्रनिविशेष च लालितः // 195 // शिवभक्तः पर्णकामा गणेश्वरवरात्पुनः // जानिम्म। धर्मपरः सार्वभौमो जिजायते // 196 // निष्कामस्तु जपन्नित्यं नत्या विनेशतत्परः // योगमिद्धिं परां प्राप्य ज्ञानगम्यमंस्थितः / / 157 // निरंतगेदितानन्दे परमानन्दसंविदि // विश्वानीण परे पारे पुनरावृनिवर्जिते // 198 // लीना वैनायके चाम्नि रमते नित्यनिवृतः // यो नामभिनेदेतेश्र्चयेत्पूजयेन्नरः // 199 // गजानो वश्यतां यांति रिपो यांति दासताम् // मंत्रा मिध्यंनि मपि मुलभास्तस्य सिद्धयः // 200 // मूलमंत्रादपि स्तोत्रमिदं प्रियतरं मम // नभम्ये मामि शुकायां चतुथ्य मम जन्मनि // 201 // वाभिनमितिः पूजां तर्पगं विधिवचरेत् // अष्टद्रव्यविशेषेण जुयादनिसंयुतः // 202 // तस्येप्सितानि मणि मिद्धयंत्यत्र न संशयः // इदं प्रजन पठितं पाठितं श्रावितं श्रुतम् / / 203 // व्याकृतं चर्चितं ध्यातं विमृष्टभनिनन्दितम् // इहामुत्र च मवेषां विश्वैश्वयंप्रदायकम HI // 204 // स्वच्छन्दचारिणाप्येप येन मंधार्यते नवः // संरक्ष्यते शिवोतर्गणरध्यष्टकोटिभिः // 205 // पुस्तकें लिखितं स्तोत्र For Private And Personal Use Only