________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवकंकमेन मनालिजालं मदयकमनम् // निवारयंतं निजकर्णतालेः को विस्मरत्पत्रमनंगशत्रोः / / || शंभोर्जटाजूटनिवासि गंगाजलं समानीय करांबुजेन / / लीलाभिरारान्छिवमर्चयंत गजाननं भक्तियुता मजति // // कुमारमुक्ती पुनरात्महेतोः पयोधरी पर्वत राजपुत्र्याः / / प्रक्षालयं करशीकरण मौग्ध्येन तं नागमुखं भजामि // 5 // तया समुद्धृतगजास्यहस्ताये शीकराः पुष्कररंध्रमुक्ताः // व्योमागणे ते विचरंति ताराः कालात्मना मौक्तिकतुल्यभासः // 6 // कीडारते वारिनिधी गजास्ये वेलामतिकामति बारिपूरे // कल्पा बमान परिचिय देवाः कैलासनाथं श्रुतिभिः स्तुति // 7 // नागानने नागकतोनरीये कीडारने देवकुमारः // त्वयि क्षणं काल गति विहाय तो प्रापनः कंटुकतामिनेंदुः // 8 // मदोल्लसत्पंचमुखैरजनमध्यापर्यतं मकलागमार्थम // देवानृषीभक्तजनकमिध हेरंबमा मणमाश्रयामि // 2 // पादांबुजाच्यामतिवामनायां कतार्थयंत कृपया धरित्रीम / / अकारणं कारणमानवाचां तन्नागवत्रं न जहाति। वतः // 10 // येनापितं सत्यवतीसुताय पुराणमालिन्य विषाणकोट्या / तं चंद्रमौलेस्तनयंतपोभिराराध्यमानंदघनं भजामि / / 330 पदं श्रुतीनामपदं स्तुतीनां लीलावतारं परमात्ममृतः / / नागात्मकं वा पुरुषात्मकं वा त्वभेदमाद्यं भज विघ्नराजम् // 12 // पाशांकशोर भनग्दं त्वभीष्टं करैर्दधानं कररंधमुक्तः / / मुक्ताफलाभः पृथुशीकरोघेः सिंचंतमंगं शिवयोर्भजामि // 1 // अनेकमेकं गजमेकदंतं चत न्यरूपं जगदादिबीजम् // ब्रह्मेति यं वेदविदो बदंति तं शंभुसून सततं भजामि // 11 // स्वांकस्थिताया निजवल्लभाया मुखांबुजालोक। नलोलनेत्रम॥स्मेराननाजं मदवेभवेन रुद्धं भजे विश्वविमोहनं तम् // 35 // ये पूर्वमाराध्य गजाननं त्वां सर्वाणि शास्त्राणि पठति पानिपाम् / / त्वत्तो न चान्यत्प्रतिपाद्यमेतैस्तदास्ति चेत्सर्वममत्यकल्पम् // 16 // हिरण्यवर्ण जगदीशितारं कवि पुराणं रविमंडल - For Private And Personal Use Only