________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir हरं दिव्यं परमानंदलक्षणम् // तापत्रयविनिर्मुक्त तवाय कल्पयाम्यहम् // 1 // " मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः पू० ख०१ इदमयं समर्पयामि // इत्यर्थः // 12 // "वेदानामपि देवाय वेदानां देवतात्मने // आचमं कल्पयामीश शुद्धानां शुद्धिहेतवे॥" मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः आचमनीयं समपर्यामि // इत्याचमनम् // 13 // इत्याचमनं दत्त्वा मधुपर्कपञ्चामृतस्नानादि च| सर्वदेवोपयोगिपद्धतिमार्गेण कुर्यात् / अशक्तश्चेजलस्नानं मधुस्नानं शुद्धोदकस्नानं च कुर्यात् // तद्यथा // “गंगासरस्वतीरेवापयोष्णी) नर्मदाजलैः / / नापितोऽसि मया देव तथा शांतिं कुरुष्व मे // 3 // " मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः जलस्नानं समर्पयामि। इति जलस्नानम् // 14 // "तरुपुष्पसमद्भुतं सुस्वादु मधुरं मधु // तेजःपुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थ प्रतिगृह्यताम् // 1 // " मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः मधुनानं समर्पयामि // इति मधुस्नानम् 1 // 15 // "गंगासरस्वतीरेवापायोष्णीनर्मदाजलैः // नापितोऽसि मया देव तथा शांतिं कुरुष्व मे // 3 // " मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि // इति शुद्धोदकस्नानम् // 16 // एवं स्नानं समपर्म्याचमनं दद्यात् // ततः। “सर्वभूषादिक सौम्ये लोकलज्जानिबारणे // मयैवापादिते तुयं वास सी प्रतिगृह्यताम् // 3 // " मूलं पठित्वा ॐ भर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः रक्तवस्त्रं समर्पयामि // इति रक्तवस्त्रम् ॥१७॥"नवनिस्तन्तु भिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् // उपवीतं चोनरीयं गृहाण परमेश्वर // 3 // " मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः यज्ञोपवीतं / समर्पयामि // इति यज्ञोपवीतम् ॥१८॥"श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गंधाढ्यं सुनोमहरम् // विलेपनं सुरश्रेष्ट चन्दनं प्रतिगृह्यताम्॥३॥" मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः गंधं समर्पयामि // अंगुष्ठौ कनिष्ठामूललग्नौ गंधमुद्रा // इति गंधम् / / 19 // “अक्ष For Private And Personal Use Only