________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir अमुकगगपतिदेव इह तिष्ठ // इति स्थापनम् // 2 // "अनन्या तब देवेश मूर्तिशक्तिरियं प्रभो // सान्निध्यं कुरु तस्यां त्वं भक्तानुग्रहत त्वर // 1 // " मलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतिदेवते इह मन्निहि // इति सन्निधापनम् // 3 // "आज्ञया तब देवेश रुपांभो घि गुगां / / आत्मानंदेकतनं त्वां निरुणभि पितगुरो ॥"मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपदिदेवते इह सन्निरुध्य // इति सन्नि बरोधनम् // 4 // "अज्ञानादुर्मनस्त्वादा वैकल्यात्माधनस्य च // यदपूर्ण भवेत्कृत्यं तदप्यभिमुखो भव // 1 // " मूलं पठित्वा ॐ भर्भवः स्वः अमुकगणपतिदेव इह सम्मुखो भव // इति सम्मुखीकरणम् // 5 // "अभक्तवाङ्मनश्चक्षुःोत्रातिगद्युत // स्वतेजःअपरे णाशु पेष्टितो भव सर्वतः॥1॥” भूलं पठित्वा ॐ भर्भवः स्वः अमुकगणपतिदेव अवगुंठितो भव // इत्यवगुंठनम् // 6 // “यस्य / दर्शनमिच्छंति देवाः स्वाभीष्टसिद्धये // तस्मै ते परमेशाय स्वागतस्वागतं च ते // 1 // " मुलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः। अमुकगणपतये नमः सुस्वागतं समर्पयापि // इति सुस्वागतम् // 7 // " देवदेव महाराज प्रियेश्वर प्रजापते // आसनं दिव्यमीशान दास्येऽहं परमेश्वर // अपराधो भवत्येव सेवकस्य पदेपदे // कोपरः सहतां लोके केवलं स्वामिनं विना // 1 // " मूलं पठिबा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः आसनं समर्पयामि // 8 // इत्यासनं दत्त्वा प्रार्थयेत् // तत्र मंत्रः // " स्वागतं देवदेवेश मद्भाग्यात्त्वमिहागतः // प्रारुतं त्वं च दृष्ट्वा मां बालवत्परिपालय // 1 // मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः प्रार्थनां समर्प। यामि नमस्करोमि // इति प्रार्थयेत्॥९॥॥१०॥अथ पाद्यादिपूजाप्रयोगः॥"यक्तिलेशसंपर्कात् परमानंद सम्भवः॥ तस्मै ते चरणाजाय पायं शुद्धाय कल्पयेत् // 3 // " मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः पाद्यं समर्पयामि।। इति पाद्यम् // 11 // “तापत्रय 24 For Private And Personal Use Only