________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir मं०म० सा त्यहं जुयादष्टोत्तरं शतमतंद्रितः // पूर्वोतं फलमामोति पण्मासाद्भक्तितत्परः // 4 // आज्याक्तान्नस्य होमेन भवेद्धनसमृद्धिमान् / / पृथकैर्नारिकेलैर्वा मरिचैर्वा सहस्रकम् // 5 // प्रत्यहं जह्वतो मासाज्जायते धनसंचयः // जीरसिंधुमरीचाक्तरष्टद्रव्यैः सहस्रकम् // 6 // हयात्प्रतिदिनं पक्षात्स्यात्कुबेर इवार्थवान // चतुःशतं 444 चतुश्चत्वारिंशदाढ्यं दिन प्रति // तर्पयेन्मूलमंत्रण मंडलादि टमानुयात् // 7 // इति वक्रतुंडषडक्षरमंत्रप्रयोगः // 1 // अथ मंत्रभेदः ( मंत्रमहोदधौ ) मंत्रो यथा // मेघोल्काय स्वाहा // इति षडक्ष ) रो मंत्रः // अस्य विधानं सर्व पूर्ववज्ज्ञेयम्॥तथा च ॥'षडक्षरोयमादिष्टो भजतामिष्टदो मनुः।। पूर्ववत्सर्वमेतस्य समाराधनमीरितम् // इति द्वितीयषडक्षरमंत्रप्रयोगः // अथैकात्रंशदक्षरवक्रतुंडमंत्रप्रयोगः // (मंत्रमहोदधौ ) मंत्रो यथा // “रायस्पोषस्य ददिता निधिदो रत्न धातुमान् / / रक्षोहणोबलगहनोवक्रतुंडायहूं // " इत्येकत्रिंशदक्षरमंत्रः // अस्य विधानम् // अस्य श्रीवक्रतुंडगणेशमंत्रस्य भागवऋपिर | नुष्टुप् छंदः // विनेशो देवता // वं बीजम् // यं शक्तिः ममाभीष्टसिद्धये जपे विनियोगः / / ॐ भार्गवर्षये नमः शिरसि // 3 // अनुष्टुप् छंदसे नमः मुखे // 2 // विघ्नेशदेवतायै नमः हृदि // 3 // वं बीजाय नमः गुह्ये // 4 // यं शक्तये नमः पादयोः // 5 // वि नियोगाय नमः सर्वांगे // 6 // इति ऋष्यादिन्यासः // ॐ रायस्पोषस्य अंगुष्ठाभ्यां नमः // 1 // ॐ ददिता तर्जनीभ्यां नमः // 2 // ॐ निधिदोरत्नधातुमान् मध्यभात्यां नमः // 3 // ॐ रक्षोहणो अनामिकाभ्यां नमः // 4 // ॐ बलवाहनो कनिष्ठिकाभ्यां नमः // 5 // वक्रतुंडाय हुं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः // 6 // इति करन्यासः। एवमेव हृदयादिपडंगन्यासं कुर्यात् // एवं न्यासं कृत्वा| ध्यायेत् // अथ ध्यानम्--उद्यदिनेश्वररुचिं निजहस्तपद्मः पाशांकुशाभयवरान्दधतं गजास्यम् // रक्तांबरं सकलदुःहरं गणेशं ध्यायेत्प्रस 71 // For Private And Personal Use Only