________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir विकटश्रीपा०६॥ ॐ विघ्नराजाय नमः विघ्नराज श्रीपा० 7 // ॐ धूम्रवर्णाय नमः धूम्रवर्णश्रीपा० 8 // इत्यष्टौ पूजयेत् // , नतः पुष्पांजलिं गृहीत्वा मुलमुच्चार्य // "अभीष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल / भक्त्या समर्पये तुल्यं तृतीयावरणार्चनम् 1 // " इति / पठित्वा पुष्पांजलिं च दत्त्वा विशेषाद्विदुं निक्षिप्य पूजितास्तपिताः संतु इति वदेत् // इति तृतीयावरणम् // 3 // ततो भपुरे पूर्वादि क्रमेण-ॐ लं इंद्राय नमः 1 // ॐ रं अग्नये नमः 2 // ॐ में यमाय नमः 3 // ॐ अं निरीतये नमः // ॐ वं वरुणाय नमः५॥ ॐ थं वायवे नमः 6 // ॐ कुं कुबेराय नमः 7 // ॐ हं ईशानाय नमः 8 // पूर्वेशानयोर्मध्ये ॐ आं ब्रह्मणे नमः 5 // वरुणनैर्ऋतयो मध्ये ॐ ह्रीं अनंताय नमः 10 // इति दशदिक्पालान पूजयित्वा पुष्पांजलिं च दद्यात् / इति चतुर्थावरणम् 4 // ततः इन्द्रादिसमीपे ॐ बञाय नमः // ॐ शं शक्तये नमः 2 // ॐ दं दंडाय नमः // ॐ खं खड्गाय नमः // ॐ पा पाशाय नमः 5 // ॐ / अंकुशाय नमः 6 // ॐ गं गदायै नमः 7 // ॐ त्रि त्रिशूलाय नमः 8 // 30 पं पद्माय नमः 5 // चं चक्राय नमः 10 // इति बज्राद्यवाणि पूजयेत् // इत्यावरणपूजां कृत्वा धृपादिनमस्कारांत संपूज्य जपं कुर्यात् // अस्य पुरश्चरणं षड्लक्षजपः अष्टद्रव्यदशोशतो होमः। तत्तदशांशन तर्पणमार्जनब्राह्मणभोजनं च कारयेत् // एवं कते मंत्रः सिद्धो भवति सिद्ध मंत्र मंत्री प्रयोगान् माधयेत् // तथा च / aऋतुलझं जपेन्मंत्रमष्टद्रव्यैर्दशांशतः // जुहुयान्मंत्रसंसिये वाड्वान्भोजयेच्छुचीन् // 3 // ततः सिद्धे मनौ काम्यान्प्रयोगान्साधयेन्निजान॥ ब्रह्मचर्यरतो मंत्री जपेद्रविसहस्रकम् // षण्मासमध्याहारियं नाशयत्येव निश्चितम् // चतुर्थ्यादिचतुर्थ्यतं जपेद्दशसहस्रकम् // 3 // १-इक्षवः स तयो रंभाफलानि चिपिटास्तिकाः // मोदका नारिकेलानि लाजा व्याप्टकं स्मृतम् // For Private And Personal Use Only