________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir मं०म० // 70 // भवेत् // 4 // एवं क्रमेण संपूज्य यावत्पुष्पं न विद्यते // प्रतिपदादिपूर्णातं वृद्धिभेदेन पूजयेत् // 5 // महापर्वमु सर्वेषु विशपाच पवित्रके प० ख० महानवम्यां देवेशि कुमारीश्च प्रपूजयेत् // 6 // अथ पूजाश्योगः॥ पूजादिनात्पूर्वदिने गंधपुष्पाक्षतादिभिर्मलेन भगवति कुमारि पूजार्थ / सन्दे०प० त्वं मया निमंत्रितासि मां कतार्थये,ति निमंत्रितां प्रातराहूय प्रदक्षिणीकृत्योइतनायैः नापयित्वा गंधतेलेन शरीरं संस्कार्याकेशं परिष्क / / त्य ललाटे सिंदूरं नयनयोः कजलं सर्वांगे चन्दनं वस्त्रालंकारैराभूप्य पूजागृहे चानीय पादौ प्रक्षाल्य अष्टदलपीठोपरि समावेश्य तांबुलेन मुखं संशोध्य देशकालौ स्मृत्वामुकसिद्ध्यर्थममुककर्माण अमुकदेवताप्रीत्यर्थ कुमारीणां पृजनं करिष्ये / इति संकल्प्य न्यासं कुर्यात् / ॐ क्ला कुमारिके हृदयाय नमः 1 ॐ क्लीं कुमारिके शिरसे स्वाहा 2 ॐ. कुमारिके शिखायै वषट् 3 ॐ के कुमारिके कवचाय है। 2 ॐ कौं कुमारिके नेत्रत्रयाय वौषट् . ॐ क्लः कुमारिके अस्त्राय फट 6 इति हृदयादिषडंगन्यासः // एवमेव करन्यासं कुर्यात् / एवं / न्यासं कृत्वा ध्यायेत् ! अथ ध्यानम्-बालरूपां च त्रैलोक्यसुंदरीं बरवर्णिनीम् // नानालंकारनम्रांगी भद्रविद्याप्रकाशिनी // 1 // चारुहास्यां महानंदहृदयां शुभदां शुभाम् // शंखकुंदेन्दुश्वलां द्विभुजां वरदाभयाम // 2 // एवं ध्यात्वात्मशिरसि पुष्पं दत्वावाहयेत् // मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मी मातृणां रूपधारिणीम्॥ नवदुर्गात्मिकां साक्षात्कन्यामावाहयाम्यहम् // 1 // इत्याबाह्य ॐ ह्रीं कुलकुमारिकायै नमः। इदं पाद्यमेवमिदमयमिदमाचमनीयमिदमनुलेपनमेतेऽक्षता एतानि पुष्पाणि एष धूप एष दीप इदं नैवेद्यमिदं तांबूलमिति पूजयित्वा षडंगानि / पूजयेत् / ॐ क्लो कुमारिके हृदयाय नमः / ॐ क्रीं कुमारिके शिरसे स्वाहा 2 ॐ क्लू कुमारिके शिखायै वषट् 3 ॐ के कुमारि 1 वाग्भवेन वपुःक्षाभं मायावीजे गुणाष्टकम् / श्रियो बीजे श्रियो लाभो पायाचीजे रिपुक्षयः // भैरवेण तु नि खेचरत्यं सुरादिभिः॥ // 70 // For Private And Personal Use Only