________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir म 39 // इति मंत्रण भाले त्रिपुंडू कुर्य्यात् // 1 // पुनः ॐ त्र्यंबकं पठित्वा ॐ अधोराय नमः इति दाक्षिणांसे तिलकं कुर्य्यात् // 2 // पुनः ॐ त्र्यंबकं पठित्वा ॐ सद्योजाताय नमः इति मंत्रेण वामांसे तिलकं कुर्य्यात् // 3 // पुनः ॐ त्र्यंबकं पठित्वा ॐ वामदेवाय नमः इति मंत्रण जठरे तिलकं कुर्यात् // 4 // पुनः ॐ त्र्यंबकं पठित्वा ॐ ईशानाय नमः इति मंत्रेण वक्षसि च त्रिपुंडं कुर्यात् // 5 // इति पंचत्रिपुंडू कृत्वा रुद्राक्षालांच धारयन् सन्ध्यावन्दनादि कर्म कुर्यात् // इति भस्मत्रिपुंडप्रकारः॥अथ वैष्णवानामूर्ध्वपुंडविधानम्॥गोपीचं / दनतुलसीमूलसिंधुजाह्नवीतीरोद्भवमृदा केशवादिद्वादशनामभिर्ललाटादिषु द्वादशस्थानेषुउर्द्धपुंडतिलकं कुर्यात् // तत्र क्रमः॥ॐकेशवाय नमः इति ललाटे कार्यम्॥१॥ ॐ नारायणाय नमः इति उदरे कार्यम्॥२॥ ॐ माधवाय नमः इति हृदये कार्यम् // 3 // ॐ गोविं दाय नमः इति कण्ठे कार्यम्॥४॥ ॐ विष्णवे नम इति दक्षिणपाचे कार्यम्॥५॥ ॐमधुसूदनाय नमः इति दक्षबाही कार्यम्॥६॥ॐ त्रिविक्रमाय नमः इति दक्षिणकर्ण कार्यम्॥७॥ॐ वामनाय नमः इति वामपार्थ कार्यम॥ॐ श्रीधराय नमः इति वामवाही कार्यम। d॥९॥ॐ हृषीकेशाय नमः इति वामकर्ण कार्यम् // 10 // ॐ पद्मनाभाय नमः इति पृष्ठे कार्यम् // 1 // ॐ दामोदराय नमः इति / ककुदि कार्यम् // 12 // एवं द्वादशस्थानेषु तिलकं कुर्यात् // इति वैष्णवोर्ध्वपुंडविधानम् // इति तिलकं कृत्वा वैदिकी संध्या विधाय शिवमंत्रेण तांत्रिकी कुर्यात् // अथ तांत्रिकसंध्याप्रयोगः // देशकालौ संकीर्त्य श्रीअमुकदेवताराधनयोग्यताजननार्थ मंत्रसंध्यामहं कारष्ये / इति संकल्प्य ॐ ह्रां आत्मतत्त्वाय स्वाहा॥१॥ॐ ह्रीं विद्या तत्त्वाय स्वाहा // 2 // ॐ हूं शिवतत्त्वाय धि 1 ललाटे तु गदां कुर्याबृदये नंदकं पुनः / शंख चक्र भुन देदे शाङ्ग चाणं च मूर्द्धनि // एतानि चिह्नानि धारयेत् // For Private And Personal Use Only