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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २१६ ) कारण प्रतिपादित नहीं किया गया है कि व शून्य को यथाथता मानते हैं बल्कि इस लिए कि 'आत्मा' ही वास्तविक सत्ता को धारण किये हुए है। ___ 'पादि' की धारणा केवल मन की भ्रान्ति है । परम-सत्य एकमात्र सत्ता है जिसे अनादि माना जाता है । संसार की अनेकता को देख कर इसके 'आदि' को जानने का प्रयत्न आकाश म उड़ने वाले पक्षियों के पद-चिह्न खोजने के समान है । जब किसी वस्तु का जन्म नहीं होता तो हम उसके 'मूल-कारण' की किस प्रकार कल्पना कर सकते हैं ? श्री गौड़पाद कहते हैं कि इस (कार्य) का कोई कारण नहीं । 'अनेकता' किसी कारण से आविर्भूत होती है। किन्तु 'परम सत्य' के अतिरिक्त और किसी की सत्ता नहीं; अतः किसी वस्तु का जन्म नहीं हुआ । For Private and Personal Use Only
SR No.020471
Book TitleMandukya Karika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChinmayanand Swami
PublisherSheelapuri
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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