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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir अनवरखाँ और सदरुहीन । ७७ - किया। उसके बहुत प्राग्रह करनेपर उन्होंने उसे अपने पास ही रहने दिया। उससे उनको एक कन्या हुई जिसका नाम मस्तानी हुआ। यह भी अपनी माताकी भाँति अत्यन्त सुन्दरी थी। जब द्वितीय पेशवा बाजीराव बुन्देलखण्ड आये तो वे उसे अपने साथ लेते गये। यद्यपि उसका उनके साथ कोई धर्मविवाह न हुआ था पर उसने आजन्म उनके साथ सतीत्व और प्रेमभावका परिचय दिया। इससे पेशवा. को एक पुत्र अलीबहादुर नामका हुआ जिसको बाँदाका ज़िला जागीरमें मिला। इसी अलीबहादुरसे बाँदाके नवाबोंकी उत्पत्ति है। सन् १८५७ के विद्रोहके समय जो नवाब थे उनका भी नाम अलीबहादुर था। उन्होंने विद्रोहियोंका साथ दिया और अन्तमें गवर्नमेण्टने बाँदा उनसे छोनकर उनको कुछ पेंशन देकर इन्दौर भेज दिया। इनके घराने में इस समय भी एक व्यक्ति नवाब उपाधिसे विभूषित है यद्यपि उनकी आर्थिक दशा बहुत ही शोचनीय है। उनके पुत्रका भी नाम अलीबहादुर है। अस्तु, अब मिर्जा सदरुद्दीन धामौनीके सूबेदार और सेनाके नायक नियत किये गये। इनके साथ पहिलेसे भी अधिक सिपाही थे, जिनकी संख्या तीस सहस्त्रसे कम न थी। आनेके साथ ही मिर्जासाहबने एक दूतके द्वारा छत्रसालसे यह कहलाया कि वे लूटमारका बुरा पेशा छोड़कर भविष्यके लिये मुग़ल सम्राटकी अधीनता स्वीकार कर लें। छत्रसालने इसके उत्तरमें मिर्जासाहबसे भी और सूबेदारोंकी भाँति चौथ माँगा। - इस उत्तरसे कुपित होकर मिर्जाने दूसरे दिन सबेरे ही लड़ाई प्रारम्भ की। संध्यातक दोनों ओरके सैनिकोंने बहुत For Private And Personal
SR No.020463
Book TitleMaharaj Chatrasal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSampurnanand
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1917
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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