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मुगलोंसे अन्तिम युद्ध ।
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सन्नद्ध थे, उनका बस पहिलेसे बहुत बढ़ गया था, क्योंकि दिल्लीसे राजा नन्द प्राकर उनकी सेनामें मिल गये थे। ___मऊके पास, जहाँ भाजकल नौगावकी सरकारी छावनी है, लड़ाई फिर छिड़ी। प्रातः कालसे दो पहरतक तो दोनों सेनाओंकी अवस्था बराबर रही। परन्तु तत्पश्चात् धीरे धीरे बुंदेलोका दबाव मुग़ल दलपर पड़ने लगा । नन्दराजा घायल हुआ और अन्य कई सरदार काम आये। अन्तमें, सन्ध्या होते होते मुग़ल सैनिकोंके पैर उखड़ गये और उन्होंने क्षेत्र छोड़ दिया।
परन्तु अभी शाहकुलीका पराजय नहीं हुआ था । यद्यपि उसकी सेना एक बार हट गयी थी परन्तु अभी वह सँभल सकती थी। अभी उसके देखते ही देखते बुंदेलोंकी सेना इसी प्रकार सँभली थी। इसी बातको सोचकर नौगाँवसे थोड़ी दूरपर अजीपुराके पास उसने फिर डेरा डाला और अपनी सेनाकी दशाको सुधारना प्रारम्भ किया। पर छत्रसालने उसको इस बातके लिये बहुत समय देना उचित न समझा । ज्योंही उनकी सेना कुछ सुस्ता चुकी, उन्होंने शाहकुलीका पीछा किया और अलीपुरेपर धावा किया । मुग़ल अभी पूर्णतया प्रस्तुत न थे तौभी उन्होंने जीतोड़कर लड़ाई की परन्तु अब रणचण्डी फिर छत्रसालके अनुकूल थीं। मुग़ल सेना परास्त हुई और शाहकुली पकड़ा गया। इसके साथ ही मुग़लोकी सारी युद्ध-सामग्री इनके हाथ लगी।
शाहकुली मऊ लाया गया। कई दिन बन्दी रह कर उसने आठ सहस्र (?) रुपया दिया और भविष्यके लिये चौथ देना स्वीकार किया। छत्रसालने भी प्रतिज्ञा लेकर उसे छोड़ दिया।
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