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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षुरकर्णी खट्वाङ्ग प्रजाओं तथा धर्मधारियोंका अधिपति बनाया था (शान्ति क्षेमधन्वा-एक कौरवपक्षीय प्रधान रथी, जो दुर्योधनके १२२ । ३५)। (२) शक्तिशाली वैवस्वतमनुके आत्मज अग्रगामी सहायकोंमें था (भीष्म० १७ । २७)। महाबाहु प्रसन्धिके पुत्र और इक्ष्वाकुके पिता (आश्व० शेमधर्ति-१)एक क्षत्रिय राजा, जो क्रोधवशसंज्ञक दैत्यके ४ । ३) । ये महाबली राजर्षि यमराजकी सभामें अंशसे उत्पन्न हुआ था (आदि० ६७ । ६४)। इसे विराजमान होते हैं (सभा० ८ । १३)। इन्हें मनुसे पाण्डवोंकी ओरसे रण-निमन्त्रण भेजे जानेका विचार खगकी प्राप्ति हुई (शान्ति. १६६ । ७३)। इन (उद्योग०४।८)। यही कुलूतदेशका अधिपति था महाराज क्षुपने जीवनमें कभी मांस नहीं खाया था और कौरवपक्षसे युद्धमें आकर भीमसेनके द्वारा मारा गया (अनु० ११५। ६७)। था (कर्ण०१२।१४)। (२) एक कौरव-पक्षका क्षुरकर्णी-स्कन्दकी अनुचरी मातृका ( शल्य० ४६ । राजा, बृहन्तका सगा भाई, इसका सात्यकिके साथ युद्ध २५)। (द्रोण. २५ । ४७-४८)। सात्यकिद्वारा इसका वध क्षेत्र देहधारियोंका यह शरीर ( भीष्म० ३७ । १)। (शल्य० २१ । ८)। (३) कौरव-पक्षका एक योद्धा, पाण्डवपक्षीय बृहत्क्षत्रके साथ इसका युद्ध (द्रोण. क्षेत्रका वर्णन (भीष्म० ३७ । ५-६)। १०६ । ८) । बृहत्क्षत्रद्वारा इसका वध (द्रोण. क्षेत्रश-इस शरीरको जाननेवाला जीवात्मा । सम्पूर्ण शरीरोंमें १०७।६)। क्षेत्रज्ञरूपसे भगवान् ही विराजमान हैं (भीष्म० ३७ । असमर्ति-धतराष्ट्रका एक पुत्र (आदि० ६७ । १००)। १-२)। क्षेत्रके स्वभाव और प्रभावसहित क्षेत्रका वर्णन (भीष्म ३७ । १९-३३)। क्षेमवाह-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ४५ । ६६)। क्षेमवृद्धि-राजा शाल्वका मन्त्री तथा सेनापति । जाम्बवतीक्षेत्र-क्षेत्रज्ञ-शान-क्षेत्र और क्षेत्रका अर्थात् विकार कुमार साम्बद्वारा इसकी पराजय (वन०१६ । ११सहित प्रकृति और पुरुषका विभागपूर्ण यथार्थ बोध—यही । १६)। ज्ञान है ( भीष्म० ३७ । २)। क्षेमशर्मा-कौरव-पक्षीय एक योद्धा, जो द्रोणनिर्मित गरुड़क्षेम-एक क्षत्रिय राजा, जो क्रोधवशसंज्ञक दैत्यके अंशसे व्यूहके ग्रीवाभागमें खड़ा किया गया था (द्रोण. २० । उत्पन्न हुआ था (आदि०६७ । ६५)। यह पाण्डवपक्षीय योद्धा था और द्रोणाचार्यद्वारा मारा गया था। क्षेमा-एक स्वर्गीय अप्सरा, जो अन्य अप्सराओंके साथ (द्रोण० २१ । ५३)। अर्जुनके जन्ममहोत्सवपर नृत्य करनेके लिये आयी थी क्षेमक-(१)कश्यप और कद्रूसे उत्पन्न एक नाग (आदि० (आदि० १२२ । ६६)। ३५।११)। (२) एक प्राचीन राजा, जो युधिष्ठिरकी मि-क्षेमकमार सत्यधृति, जिसे चितकबरे, विशालकाय, सभामें विराजमान होता था (सभा० ४ । २२)। वशमें किये हुए, सुवर्णकी मालासे विभूषित तथा ऊँचे इसे पाण्डवोंकी ओरसे रणनिमन्त्रण भेजा गया था कदवाले शुभलक्षण अश्वोंने युद्धभूमिमै पहुँचाया (द्रोण० (उद्योग०४।२३)। २३ । ५८)। क्षेमकर-जयद्रथका साथी त्रिगर्तदेशका एक राजा, (ख) कोटिकास्यद्वारा द्रौपदीको इसका परिचय (वन० २६५ । खग-(१) कश्यपके वंशमें उत्पन्न हुआ एक नाग ६-७)। नकुलके हाथों इसका वध (वन० २७१ । ७०)। ( उद्योग० १०३ । १०)। (२) भगवान् शिवका एक नाम (अनु. १७ । ६७)। क्षेमदर्शी-कोसलदेशके एक राजा (शान्ति० ८२ । ५)। इनके दरबारमें उपस्थित हो कालकवृक्षीय मुनिका इनके खगम-पूर्वकालका एक तपोबलसम्पन्न ब्राह्मण, जो मन्त्री आदिके दोष बताना और राजाको उपदेश देना सहस्रपाद ऋषिका मित्र था (आदि०११।१)। (शान्ति० ८२। १२-६७)। सेना आदिके नष्ट इसके शापसे सहस्रपाद ऋषिका 'डुण्डुभ' सर्प होना हो जानेपर इनका कालकवृक्षीय मुनिसे धनके अतिरिक्त सुखका उपाय पूछना (शान्ति० १०४ । ४-१०)। खट्वाङ्ग-इलविलाके पुत्र महाराज दिलीपका दूसरा नाम कालकवृक्षीय मुनिके प्रयत्नसे राजा जनकके साथ इनकी (द्रोण० ६१ । १-१.)। इन्होंने यह सारी पृथ्वी संधि और उनके द्वारा इनका सत्कार और जामाता ब्राह्मणोंको दान कर दी थी (द्रोण० ६१ । २)। बनाया जाना (शान्ति० १०६ । २३-२८)। इनके यज्ञोंमें सड़कें सोनेकी बनी थीं। सभा-मण्डप भी For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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