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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुप्रयोगा ( ३८८ ) सुभद्रा सरस्वतीका नाम, जो ब्रह्माजीके आवाहन करनेसे प्रकट १२२ । ६३)। (३) एक क्षत्रिय राजा, जो हर नामक हुई थी ( शल्य० ३० । १३-१४ ) । (३) दानवके अंशसे उत्पन्न हुआ था (आदि० ६७ । २३स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका (शल्य० ४६।१०)। २४)। पाण्डवोंकी ओरसे इसे रण-निमन्त्रण भेजनेका (४) वदान्य ऋषिकी कन्या (अनु० १९ । १२)। निश्चय हुआ था ( उद्योग० ४।१४)। (४) एक इसका अष्टावक्रके साथ विवाह (अनु०२१ । १८)। राजा, जो क्रोधवश संज्ञक दैत्यके अंशसे उत्पन्न हुआ था सुप्रयोगा-एक पवित्र नदो, जो अग्निको उत्पत्तिका स्थान (आदि०६७।६०)। (५) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रोंमेंसे है (वन० २२२ । २५)। इसका जल भारतवासी पीते एक ( आदि० ६७ । ९४, आदि. ११६ । ३)। हैं (भीष्म० ९।२१)। भीमसेनद्वारा इसका वध (भीष्म ९६ । २६-२७)। सुप्रवृद्ध-सौवीरदेशका एक राजकुमार, जो हाथमें ध्वज (६) काशीके एक राजा, जो युद्ध में पीठ दिखानेवाले लेकर जयद्रथके पीछे चलता था (वन० २६५ । १०)। नहीं थे। भीमसेनने पूर्व-दिग्विजयके समय इन्हें बलपूर्वक परास्त कर दिया ( सभा० ३० । ६-७ ) । 'सुचित्र' अर्जुनद्वारा इसका वध (वन० २७१ । २७)। नामसे इनके द्रौपदीके स्वयंवरमें जानेका भी उल्लेख हुआ है। सुप्रसाद-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य०४५।७१)। वहाँ इनके साथ इनका पुत्र सुकुमार भी था (आदि०१८५। सुप्रसादा-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका ( शल्य. १०)। (७) एक राक्षस, जो ताटका नामक राक्षसीका पुत्र ४६ । १३)। तथा मारीचका भाई था। भगवान् श्रीरामद्वारा इसका वध सुप्रिया-एक अप्सरा, जो दक्ष-कन्या प्राधाके गर्भसे महर्षि (सभा० ३८ । २९ के बाद दा० पाठ, पृष्ठ ७९४)। " कश्यपद्वारा उत्पन्न हुई थी (आदि. ६५। ५१) । (८)चेदिदेशके एक राजा, जो वीरबाहके पुत्र और इसने अर्जुनके जन्ममहोत्सवमें जाकर नृत्य किया था सुनन्दाके भाई थे (ये दमयन्तीके मौसेरे भाई थे)(वन० (आदि० १२२ । ६३)। ६५। ४५) । (९) कुलिन्दोका एक राजा, इसका सुबल-(१) एक प्राचीन नरेश ( आदि०१।२३६)। राज्य और नगर हिमालयके बहुत निकट था । वहाँ अनेक (२) गान्धार देशके एक राजा, जो प्रह्लादशिष्य नग्नजित्के प्रकारकी आश्चर्यजनक वस्तुएँ दिखायी देती थीं। वहाँ हाथीअंशसे उत्पन्न हुए थे । इनकी संतति देवताओंके धर्मका घोड़ोंकी बहुतायत थी। किरात, तङ्गण एवं कुलिन्द आदि नाश करनेवाली हुई । इनका पुत्र शकुनि सौबल' नामसे जातियोंके लोग वहाँ निवास करते थे। वह प्रदेश देवताओंसे विख्यात हुआ। इनकी पुत्री गान्धारी नामसे प्रसिद्ध थी, भी सेवित था। सुबाहुने राज्यकी सीमापर जाकर पाण्डवोंको जो दुर्योधनकी माता थी । ये दोनों भाई-बहन अर्थशास्त्र बड़े आदर-सत्कारके साथ अपनाया, इससे पूजित हो के ज्ञानमें निपुण थे (आदि० ६३ । १११-११२)। वे सब लोग वहाँ सुखसे रहे । दूसरे दिन पाण्डवोंने इसके भीष्मने जब धृतराष्ट्र के लिये गान्धारीका वरण करनेके यहाँ अपने सेवकों तथा द्रौपदीके सामानोंको सौंपकर आगेको प्रस्थान किया था (वन० १४०।२४-२८)। निमित्त गान्धारराजके पास अपना दूत भेजा था, तब 'धृतराष्ट्र अंधे हैं। इस बातको लेकर राजा सुबलके मनमें यह महाभारतयुद्ध में पाण्डवपक्षकी ओरसे आया था । बड़ा विचार हुआ था, परंतु उनके कुलप्रसिद्धि तथा जयद्रथ-वधकी प्रतिज्ञाको सफल बनानेके लिये श्रीकृष्णसे आचार-विचारके विषयमें बुद्धिपूर्वक सोच-समझकर इन्होंने युधिष्ठिरने जब प्रार्थना की थी, उस दिन उनके शिबिरमें अपनी कन्या गान्धारीका वाग्दान कर दिया (आदि. सुबाहु भी उपस्थित था (द्रोण. ८३ । ४-६)। (१०) एक संशप्तक योद्धा। अर्जुनके साथ इसका युद्ध १०९ । ११-१२) । युधिष्ठिरके राजसूय-यज्ञमें गान्धार (द्रोण. १८ । १७-२०) । युयुत्सुके और राज सुबल अपने महाबली पुत्र शकुनि, अचल साथ वृषकके साथ पधारे थे (सभा० ३४ । ६-७)।राजसूय युद्ध और उनके द्वारा इसकी दोनों भुजाओंका यज्ञकी समाप्तिके बाद जब पुत्रोंसहित सुबल अपने राज्यको काटा जाना (द्रोण. २५ । १३-१४) । पधारने लगे, तब नकुलने साथ जाकर इन्हें अपने राज्यकी (११) स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ४५ । ७३)। सीमातक पहुँचाया था ( सभा० ४५ । ४९ ) । (१२) एक प्राचीन नरेश, जिन्होंने अपने जीवनमें कभी (३) एक इक्ष्वाकुवंशी राजा, जिनका पुत्र जयद्रथका मांस नहीं खाया था ( अनु० ११५। ६६)। साथी था (वन० २६५ । ८-९) । (४) अपने ल-लङ्कापुरीके पासका एक पर्वत (वन० २८४ । २१) वंशका विस्तार करनेवाला गरुड़का एक पुत्र ( उद्योग सुभग-शकुनिका भाई, जो भीमसेनद्वारा मारा गया (द्रोण. १०१ । ३)। १५७ । २६)। सुबाहु-(१) कश्यप और कद्र की परम्परामें उत्पन्न एक सुभगा-(१) प्राधा' नामवाली कश्यपकी पत्नीसे उत्पन्न प्रमुख नाग (आदि० ३५।१४ उद्योग०१०३।१६)। एक कन्या (आदि० ६५। ४६)। (२) स्कन्दकी (२) एक अप्सरा, जो दक्षकन्या प्राधाके गर्भसे अनुचरी एक मातृका (शल्य० ४६ । १८)। महर्षि कश्यपद्वारा उत्पन्न हुई थी ( आदि०६५।५०)। सुभद्रा-(१) वसुदेवजीकी पुत्री (आदि० २१८ । यह अर्जुनके जन्मकालमें नृत्य करने आयी थी ( आदि०१४-१८)। भगवान् श्रीकृष्ण और सारणकी सगी बहन For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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