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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शल्यपर्व ( ३४४ ) शाण्डिल्य ६३)। इनका अद्भुत पराक्रम (शल्य.१३ अध्याय)। शाक-शाकद्वीपका एक वृक्ष, जिसके नामपर उस द्वीपका इनका पाण्डववीरोंके साथ युद्ध (शल्य. १५।१०- नाम प्रसिद्ध हुआ है (भीम०११।२०)। ४३)। युधिष्ठिरद्वारा इनकी पराजय (शल्य. १६ । शाकद्वीप-भूमण्डलके सात महाद्वीपोंमेंसे एक । धृतराष्ट्र के ६३-६६)। युधिष्ठिरद्वारा इनका वध (शल्य. १७। प्रति संजयद्वारा इसका वर्णन (भीष्म ११ अध्याय)। ५२) । व्यासजीके आवाहन करनेपर युद्ध में मरे हुए - शाकम्भरी-एक देवीसम्बन्धी तीर्थ- यहाँ शाकम्भरीके कौरव-पाण्डववीरोंके साथ ये भी गङ्गाजीके जलसे प्रकट समीप जाकर मनुष्य ब्रह्मचर्य-पालनपूर्वक एकाग्र और हुए थे (आश्रम० ३२ । १०)। पवित्र हो तीन राततक केवल शाक खाकर रहे तो बारह महाभारतमें आये हुए शल्यके नाम-आयिनि, बाहलीक- वर्षोंतक शाकाहार करनेका पुण्य प्राप्त होता है (वन००४। पुङ्गव, मद्राधिप, मद्राधिपति, मद्रज, मद्रजनाधिप, मद्र- १३-१.)। जनेश्वर, मद्रक, मद्रकाधम, मद्र काधिप, मद्रकेश्वर, मद्रप, शाकल-एक नगरी, जो मद्रदेशकी राजधानीथी (आधुनिक मद्रपति, मद्रराट्, मद्रराज, मद्रेश, मद्रेश्वर, मतके अनुसार वर्तमान स्यालकोट ही शाकल है।) सौवीर आदि। (सभा० ३२ । १४)। शल्यपर्व-महाभारतका एक प्रमुख पर्व । शाकलद्वीप-एक देश, जहाँके राजा प्रतिविन्ध्यको अर्जुनने पाशाक-एक जाति, हस जातिके राजाको कर्णने दिग्विजयक जीता था (सभा० २६।६)। समय परास्त किया था ( वन० २५४ । २१)। शाकल्य-एक शिवभक्त ऋषि, जिन्होंने नौ सौ वर्षोंतक शशबिन्द-एक प्राचीन राजा (भादि० । २२८)। मनोमय यज्ञ (ध्यानद्वारा भगवान् शिवका आराधन) ये यमसभामें रहकर सूर्यपुत्र यमकी उपासना करते हैं किया था ( अनु०१४।१०.)। (सभा०८।१७)। ये चित्ररथके पुत्र थे । संजयको शाकवक्त्र-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ४५ । ७६)। समझाते हुए नारदजीद्वारा इनके चरित्र एवं दान आदिका वर्णन (द्रोण० ६५ अध्याय) । श्रीकृष्णद्वारा इनके शाख-अनल नामक वसुके पुत्र । कुमार कार्तिकेयके छोटे प्रभावका वर्णन (शान्ति. २९ । १०५-११०)। भाई । इनके दो छोटे भाई और थे, जिनके नाम थेइनके दस हजार स्त्रियाँ थीं और इसमेंसे प्रत्येकके गर्भसे विशाख और नैगमेय । (किमी-किसीके मतमें ये तीनों एक-एक हजार पुत्र हुए थे । इस प्रकार इनके कुल कुमार कार्तिकेयके ही नाम हैं तथा किन्हींके मतमें कुमार एक करोड़ पुत्र थे (शान्ति. २०८ । ११-१२)। कार्तिकेयके पुत्रोंके ये तीनों नाम हैं। कल्पभेदसे सभी ठीक यमने इन्हें श्राद्धकर्मोका उपदेश दिया था ( अनु० ८९।। हो सकते हैं।) वास्तवमें शाख, विशाख और नैगमेय१-१५) । इनके द्वारा मांसभक्षणका निषेध (अनु. कुमार कार्तिकेयके ही रूपान्तर हैं। स्वयं कुमार ही इनके ११५। ६०)। ये साय-प्रातःस्मरणीय नरेश हैं (अनु० रूपमें प्रकट हुए हैं (शल्य० ४४ । ३७)। १६५। ५५)। शाण्डिली (१) दक्षकी पुत्री तथा धर्मकी पत्नी । इनके शशयान-एक दुर्लभ तीर्थ, जहाँ सरस्वतीके जलमें प्रति- गर्भसे अनल नामक वसुका जन्म हुआ था (आदि. वर्ष कार्तिकी पूर्णिमाको शशके रूपमें छिपे हुए पुष्करका ६६ । १७-२०)।(२) ऋषभ पर्वतपर रहनेवाली दर्शन होता है । वहाँ स्नान करनेसे मनुष्य चन्द्रमाके एक तपस्विनी, जिनकी निन्दासे गरुड़के पंख गिर गये थे। समान प्रकाशित होता और सहस्र गोदानका फल पाता है पुनः इनके द्वारा गरुड़को वरदान प्राप्त हुआ था (वन.८२ । ११४-११६)। (उद्योग० ११३ । १२-१७)। (३) देवलोकमें शशलोमा-एक राजा, जिसने कुरुक्षेत्रके तपोवनमें तप रहनेवाली एक पतिव्रता देवी, जो सम्पूर्ण तत्वोंको जानने वाली और मनम्विनी थीं। इनके द्वारा केकयराजकुमारी करके स्वर्ग प्राप्त किया था ( आश्रम० २० । १४-१५)। सुमनाको पातिवत्यका उपदेश (अनु. १२३ । ८शशाद-महाराज इक्ष्वाकुके परम धर्मात्मा पुत्र, जो पिताके २०)। बाद अयोध्याके राजा हुए थे (वन० २०२।१)। शाण्डिल्य-एक महातपस्वी प्राचीन ऋषि, जो इनके पुत्रका नाम ककुत्स्थ था (वन० २०२।२)। युधिष्ठिरकी सभामें विराजमान होते थे (समा. शशिक-एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९ । ४६)। ४ । १०)। इनकी पुत्रीकी तपस्याका वर्णन शशोलूकमुखी-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका (शल्य. (शल्य० ५४ । ५-८)। ये शरशय्यापर पड़े हुए ४६।२२)। भीष्मजीको देखने गये थे (शान्ति०४७।६)। इन्होंने For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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