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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वारपालपुर ( १६२ ) धनुर्वेद क्षेत्र परम पावन तीर्थ हैं । इन तीर्थोकी यात्रा करने- इसलिये द्वैपायन नामसे प्रसिद्ध हुए (आदि. ६३ । वालोंको नियमसे रहना और नियमित भोजन करना ८६)। (देखिये व्यास)। (२) कुरुक्षेत्रका एक चाहिये । यहाँके पिण्डारक-तीर्थमें स्नान करनेसे मनुष्यको सरोवर, जिसमें दुर्योधन भागकर छिपा था (शल्य. अधिकाधिक सुवर्णकी प्राप्ति होती है (वन० ८२ । ३०। ४७)। ६५)। यहीं राजा नृगका गिरगिटकी योनिसे उद्धार हुआ था (अनु. ७०।७)। यही यदुवंशके विनाशके धनंजय-(१) एक प्रमुख नाग, जो कश्यप और कद्रकी लिये साम्बके पेटसे मूसल पैदा होनेका शाप ऋषियोंद्वारा संतान है ( आदि० ३५ । ५)। यह वरुणकी सभामें प्राप्त हुआ था (मौसल.। १९-२१)। श्रीकृष्णके उपस्थित हो भगवान् वरुणकी उपासना करता है (सभा० परमधाम पधारनेपर द्वारकावासी स्त्री-पुरुषोंके द्वारा इस ९।९)। यह त्रिपुर-दाहके समय भगवान् शिवके रथमें पुरीके खाली कर दिये जानेपर समुद्र ने इसे डुबो दिया घोड़ोंके केसर बाँधनेकी रस्सी बनाया गया था (कर्ण. (मौसल. ७ । ४१-४२)। ३४ । २९-३०)। (२) अर्जुनका एक नाम, सम्पूर्ण द्वारपालपुर-एक प्राचीन नगर, जिसे नकुलने अपने अधि देशोंको जीतकर कररूपमें धन लेकर धनके ही बीचमें कारमें कर लिया था (सभा० ३२ । ११-१२)। स्थित होनेके कारण अर्जुनका नाम धनंजय हुआ था द्वित-एक प्राचीन महर्षि, जो गौतमके पुत्र तथा एकत और (विराट० ४४ । १३)। ( देखिये अर्जुन ) । (३) त्रितके भाई थे । इनका लोभवश अपने भाई त्रितको शिवजीद्वारा स्कन्दको दी हुई असुर-सेनाका नाम (शल्य. कूपमें गिरा छोड़कर एकतके साथ घरको जाना और ४६ । ४७)। त्रितके शापसे भेड़िया होकर लंगूरों, रीछों और वानरोंको धनद-कुबेरकी सभाका एक यक्ष, जो भगवान् कुबेरकी उत्पन्न करना ( शल्य. ३७ अध्याय )। ये पश्चिम सेवामें संलग्न रहता है (सभा०१०।१५)। दिशाका आश्रय लेकर रहनेवाले ऋषि हैं ( शान्ति. २०८ । ३१)। ये प्रजापतिके पुत्र माने गये हैं । इन्हें धनदा धनदा-स्कन्द की अनुचरी मातृका (शल्य. ४६ । १३)। उपरिचरवसुके यज्ञका सदस्य बनाया गया था (शान्ति० धनी-कप नामक दानवोंका दूत, इसके द्वारा ब्राह्मणोंके ३३६ । ६)। पास जाकर कपोंके सदाचारका वर्णन (अनु० १५७ । द्विमूर्धा-एक राक्षस, जो असुरोंके पृथ्वीदोहनके समय दोग्धा ८-१४)। (दुहनेवाला ) बना था ( दोण० ६९ । २०)। धनुर्ग्रह (धनुग्रह या धनुधर )-धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों से द्विविद-किष्किन्धानिवासी एक वानर, जिसके साथ सहदेवने एक (आदि० ६७ । १०३, आदि. ११६ । ११)। सात दिनोंतक युद्ध किया था तो भी वे उसे हरा न सके भीमसेनद्वारा इसका वध ( कर्ण० ८४ । २-६)। (सभा० ३१ । १८-१९) । इसने सहदेवको नाना धनुर्वक्त्र-स्कन्दका एक सैनिक ( शल्यः ४५ । ६२)। प्रकारके रत्नोंकी भेंट दी थी (सभा० ३१ । २०)। धनुर्वेद-वह शास्त्र, जिसमें धनुष आदि अस्त्र-शस्त्रोंको यह सुग्रीवका मन्त्री था (वन० २८० । २३) । इसके चलानेकी विद्याका निरूपण हो, चार पादोंसे युक्त अस्त्र-शस्त्र संरक्षणमें रहकर श्रीरामका कार्य करनेके लिये वानर सेनाने कूच विद्या । [ भारतवर्षमें इस विद्याके बड़े-बड़े ग्रन्थ थे, जिन्हें किया था (वन० २८३ । १९)। इसने कभी श्रीकृष्णको क्षत्रियकुमार अभ्यासपूर्वक पढ़ते थे। मधुसूदन सरस्वतीने पकड़नेकी इच्छा रखकर सौभ विमानके द्वारसे इनपर अपने प्रस्थानभेद नामक ग्रन्थमें धनुर्वेदको यजुर्वेदका उपवेद पत्थरोंकी वर्षा का था ( उद्योग० १३० । ४१-४२)। लिखा है। आजकल इस विद्याका वर्णन कुछ ग्रन्थों में थोड़ा बहुत दीपक-गसड़की प्रमुख संतानोंमेंसे एक ( उद्योग० १०१।। मिलता है। जैसे----शुक्रनाति, कामन्दकी नोति, अग्निपुराण, वीर-चिन्तामणि, वृद्धशार्ङ्गधर, युद्धजयार्णव, युक्ति-कल्पतरु, देतवन-एक वन और सरोवर, यहाँ वनवासके समय नीतिमयूष इत्यादि । 'धनुर्वेद संहिता' नामक एक पाण्डवोंने निवास किया था ( वन० २४ । १३)। यह अलग पुस्तक भी मिलती है, परंतु उसकी प्राचीनता सरस्वतीके तटपर अवस्थित था ( वन० २४ । २०)। और प्रामाणिकतामें संदेह है । अग्निपुराणमें ब्रह्मा और तीर्थयात्राके समय बलरामजीने यहाँ पदार्पण किया था महेश्वर इस वेदके आदि प्रकटकर्ता कहे गये हैं। परंतु (शल्य० ३७ । २७)। मधुसूदन सरस्वती लिखते हैं कि विश्वामित्रने जिस वैपायन(१)-महर्षि पराशरके द्वारा सत्यवतीके गर्भसे उत्पन्न धनुर्वेदका प्रकाश किया था, यजुर्वेदका उपवेद वही है।' मनिवर वेदव्यास, जो यमुनाके द्वीपमें छोड़ दिये गये, उन्होंने अपने प्रस्थानभेदमें विश्वामित्रकृत इस उपवेदका For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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