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ओसह न [ओषध] दवा, औषधि। (द्वा.८, द.१७) जिणवयणमोसहमिणं । (द.१७) ओहि पुं स्त्री. [अवधि] रूपी पदार्थों का अतीन्द्रिय ज्ञान, अवधिज्ञान, दर्शन का एक भेद। (पंचा.४२, स.२०४, प्रव.चा.३४, निय.१२,१४) देवा य ओहिचक्खू । (प्रव.चा.३४)
क कंख सक [कांक्ष] चाहना, इच्छा करना। (स.२१६) तं जाणगो दु
णाणी, उभयं पि ण कंखइ कया वि। (स.२१६) कंखा स्त्री [कांक्षा आकांक्षा, इच्छा, अभिलाषा। कंखामणागयस्स
(स. २१५) जो दु ण करेदि कंखं, कम्मफलेसु तह सव्वधम्मसु । (स.२३०) कंचण न काञ्चन] सोना, स्वर्ण। (शी.९) जह कंचणं विसुद्ध,
धम्मइयं खंडियलवणलेवेण। (शी.९) कंड पुं न [काण्ड]1. बाण,सर। (बो.२०) जह ण वि लहदि हु लक्खं रहिओ कंडस्स वेज्झयविहीणो। (बो.२०) 2. न [काण्ड] पर्व, सन्धिस्थल, गांठ। कति स्त्री [कान्ति] कान्ति, तेज, शोभा, सौन्दर्य।
रूवसिरिगब्विदाणं, जुब्वणलावण्णकतिकलिदाणं। (शी.१५) कंद पुं [कंद] कन्द, जमीन में पैदा होने वाले। (भा.१०३) कंदप्प पुं [कंदर्प] काम सम्बन्धी चेष्टा, उत्तेजनात्मक प्रवृत्ति । कंदप्पमाइयाओ। (भा.१३, लिं. १२)
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