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पडिकमणादिं करेज्ज झाणमय। -परिहीण वि [परिहीन] आदि-अंश से रहित, जघन्य अंश से रहित। (प्रव.जे.७३) समगो दुराधिगा जदि बझंति हि आदिपरिहीणा। आदिच्च पुं [आदित्य] सूर्य, दिनकर। (प्रव. ६८) सयमेव जधादिच्चो तेजो उण्हो य देवदा णभसि। आदिट्ठ वि [आदिष्ट] कथित, उपदेशित। (प्रव. जे.२३) तदुभयमादिट्ठमणं वा। आदिय सक [आ+दा] ग्रहण करना, स्वीकारना। आदियदि (व.प्र.ए.मो.४८) णादियदि णवं कम्मं णिद्दिळं जिणवरिंदेहिं। आदीयदे (प्रे.प्र.ए.प्रव.जे.९४) आदीयदे कदाई, विमुच्चदे कम्मधूलीहिं। आदीणि वि [आदीनि] अन्य। (स.२७०) आदेस पुं [आदेश] व्यवहार, नियम, उपदेश, निर्देश, कथन। (स.४७) एसो बलसमुदयस्स आदेसो। (स.४७) -मत्तमुत्त वि [मात्रमूर्त] आदेश मात्र से मूर्त, कथन मात्र से मूर्त। (पंचा.७८) आदेसमत्तमुत्तो। (पंचा.७८) -वस पुं न [वश] सामर्थवश, विवक्षावश। दव् खु सत्तभंगं, आदेसवसेण संभवदि। (पंचा.१४) आधाकम्म पुं [अधःकर्म] निन्द्यकर्म। आधाकम्मम्मि रया। (मो.७९ स.२८६, २८७) आपिच्छ सक [आ+पृच्छ्] पूछना, आज्ञा लेना, सम्मति लेना। (प्रव.चा.२) आभिणि न [आभिनि] पांच इन्द्रिय और मन से होने वाला ज्ञान,
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