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एयं तु अविवरीदं। (स०१८३) अविसुद्ध वि [अविशुद्ध] विशुद्धि रहित, अपवित्र। अविसुद्धं य चित्ते (प्रव.चा.२०) अविसेस वि [अविशेष] सामान्य, विशेषता रहित। (स.१४)
अविसेसमसजुत्तं। अवेदन/ अवेदय वि [अवेदक] अभोक्ता, भोगने में असमर्थ। (स.३१८,३२०) अब्बत्त वि [अव्यक्त] अप्रकट, अस्पष्ट, अनुचरित, गुह्य। (पंचा.१२७, भा.६४, स.४९) अब्बत्तब वि [अवक्तव्य] अकथनीय, अनिर्वचनीय। (पंचा.१४) अब्बदिरित्त वि [अव्यतिरिक्त जुदा नहीं, अपृथक्। (पंचा.१३,
स.४०३) अब्बाबाध/अब्बावाह वि [अव्याबाध] बाधा रहित, अखण्डित।
(पंचा.२९,निय.१७७, मो.३) अबुच्छिण्ण वि [अव्युच्छिन्न] बाधा रहित, खण्डरहित, निरन्तर
(प्रव.१३) अव्युच्छिण्णं च सुहं। अवि/अपि अ [अपि] भी, निश्चय, और भी । (पंचा.३६) सव्वावि हवदि मिच्छा । (स.२६) अविचल वि [अविचल] अविचल, दृढ, मुक्तरूप। जो पढइ सुणइ
भावइ, सो पावइ अविचलं ठाणं । (भा.१६४) अविजाणंतो व.कृ.[अविजानन्] नहीं जानता हुआ। (प्रव.चा.३३) अविजाणंतो अत्थे। (प्रव.चा.३३)
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